बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह खुद राजनीति में यहां तक कैसे पहुंचे?

By Amitabh Trivedi / 22-10-2019 01:42:59 am | 19235 Views | 0 Comments
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई के संपन्न गुजराती परिवार में हुआ था. वो बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता का कारोबार संभालने लगे थे. उन्होंने शेयर ब्रोकर के रूप में भी काम किया.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज 55 साल के पूरे हो गए हैं. उनका जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई के संपन्न गुजराती परिवार में हुआ था. उनकी मां का नाम कुसुमबेन और पिता का नाम अनिलचंद्र शाह है. अमित शाह को मौजूदा राजनीति का चाणक्य माना जाता है. हालांकि उनके शेयर ब्रोकर से राजनीति का शहंशाह बनने तक का सफर बेहद दिलचस्प है.

अमित शाह ने जब से बीजेपी अध्यक्ष की कमान संभाली है, तब से पार्टी ने कई मुकाम हासिल किए. हालांकि उनको राजनीति विरासत में नहीं मिली है. अहमदाबाद से बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी करने के बाद अमित शाह ने अपने पिता के प्लास्टिक के पाइप का कारोबार संभालने लगे थे. इसके बाद उन्होंने स्टॉक मार्केट में कदम रखा और शेयर ब्रोकर के रूप में काम किया. जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.



बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश का दूसरा सबसे ताकतवर व्यक्ति मानते हैं. मोदी सरकार में मंत्री बनने से पहले वे पार्टी के कर्ताधर्ता तो थे लेकिन तब सरकार में शामिल कुछ मंत्रियों की गिनती भी देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में होती रहती थी.

2014 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर जब 80 में से 73 सीटें जीतने का कारनामा अमित शाह ने किया तो राष्ट्रीय स्तर पर उनका कद काफी बड़ा हो गया. बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने भाजपा का जिस ढंग से विस्तार किया उसने उन्हें यहां तक पहुंचा दिया. मीडिया का एक बड़ा वर्ग अमित शाह को इस दौर की ‘राजनीति का चाणक्य’ कहता है. एक ऐसा राजनेता जिसने भाजपा को इतना ताकतवर बना दिया है कि कुछ राज्यों को छोड़कर उसे कहीं और हरा पाना आसान नहीं रहा.



1. अमित शाह के बारे में यह धारणा है कि वे दिन-रात राजनीति में ही लगे रहते हैं. लेकिन इस पुस्तक में यह उल्लेख आया है अमित शाह नियमित तौर पर डायरी लिखते हैं. ब्रिटेन के लेखक पैट्रिक फ्रेंच के एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए इस किताब में अमित शाह को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि ‘मैं नियमित डायरी लिखता हूं लेकिन यह प्रकाशित कराने के लिए नहीं है. यह मैं अपने अनुभव और स्व-मूल्यांकन के लिए करता हूं.’

2. बहुत लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि अमित शाह ज्योतिष शास्त्र के भी जानकार हैं. इस बारे में पुस्तक में लिखा गया है, ‘बचपन में शाह नियमित सभी बच्चों की तरह खेलने जाते थे. वहां वे एक ज्योतिष शास्त्री के संपर्क में आए और उनसे नियमित चर्चा होने लगी. शाह ने ज्योतिष के विषय पर उनसे काफी कुछ सीखा और ज्योतिष ज्ञान हासिल किया. बहुत कम लोग जानते हैं कि अमित शाह ज्योतिष विद्या पर न सिर्फ भरोसा करते हैं बल्कि स्वयं भी इसके अच्छे जानकार हैं. शाह के एक करीबी ने बताया कि अपनी पोती के जन्म से पूर्व शाह ने कहा था कि घर में लक्ष्मी आ रही है.’

3. अमित शाह के बारे में यह धारणा बनी है कि वे राजनीतिक चाल शतरंज की चाल की तरह चलते हैं. इस पुस्तक से पता चलता है कि अमित शाह शतरंज के अच्छे खिलाड़ी भी रहे हैं. इस बारे में उनके एक पुराने करीबी को यह कहते हुए उदघृत किया गया है, ‘अमित भाई शतरंज खेलते समय चाल गिनते थे, मिनट नहीं. कितने चाल में विरोधी को परास्त करना है, यह उनका लक्ष्य होता है और इसी लक्ष्य को लेकर वे हर चाल चलते हैं.’

बहुत कम लोगों ने यह ध्यान दिया होगा कि अमित शाह घड़ी नहीं पहनते हैं. अनुशासन और समयबद्ध कार्य करने वाले व्यक्ति का घड़ी नहीं पहनना रोचक है. इस बारे में भाजपा के एक शीर्ष नेता से अमित शाह की बातचीत का हवाला इस पुस्तक में दिया गया है. उनके मुताबिक अमित शाह ने उन्हें इस बारे में यह कहा था कि ‘सार्वजनिक, खासकर राजनीतिक जीवन में उपहार लेने-देने की संस्कृति घड़ी और कलम से शुरू होती है. मैंने अपने लिए राजनीतिक जीवन में उपहार की संस्कृति को रोक देने के लिए यह निर्णय लिया.’

5. उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान अमेठी के जगदीशपुर में अमित शाह ने एक बैठक बुलाई थी. यह बैठक अमेठी में स्थित डालडा फैक्ट्री के गोदाम पर बुलाई गई थी. इस घटना के बारे में पुस्तक में लिखा गया है, ‘संभवतः यह आकस्मिक बुलाई गई बैठक हो. बैठक देर रात दो बजे तक चली. अमेठी के भाजपा कार्यकर्ताओं ने यह सोचकर अमित शाह के रुकने की व्यवस्था नहीं कराई कि बैठक के बाद वे वापस चले जाएंगे. लेकिन उन्हें इसका अनुमान नहीं रहा कि शाह संगठन प्रवास में रात्रि निवास को लेकर अत्यंत प्रतिबद्ध हैं. बैठक के बाद जब सभी पदाधिकारी लखनऊ लौटने लगे, तो पता चला कि वहां भाजपा अध्यक्ष के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं हुई है. अमेठी से लखनऊ डेढ़ घंटे का रास्ता है. देर रात हो चुकी थी. शाह ने उसी गोदाम में ठहरने का निश्चय किया.