Ram Nath Kovind: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राष्ट्र के नाम अंतिम संबोधन

By Tatkaal Khabar / 24-07-2022 03:48:18 am | 10200 Views | 0 Comments
#

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद छोड़ने की पूर्व संध्या पर देशवासियों को अंतिम बार संबोधित किया। अपने संबोधन में सर्वप्रथम उन्होंने देशवासियों का आभार जताया। अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि निष्ठावान नागरिक ही वास्तविक निर्माता है। उन्होंने कहा कि मुझे अपने कार्यकाल के दौरान प्रतिभावान लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं भी देश के लिए कुछ करना चाहता था।इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि भारत का लोकतंत्र सभी को मौका देता है। मुझे अपने कार्यकाल के दौरान सभी का सहयोग मिला। उन्होंने राष्ट्र  के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि 5 साल पहले मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है। मैं इसके लिए आप सभी और आपके जन प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश हो रहा है सक्षम

इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है। उन्होंने कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा राम नाथ कोविन्द आज आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है, इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को हार्दिक रूप से नमन करता हूं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान मैं अपने पैतृक गांव का दौरा कर अपने कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के लिए सबसे यादगार पलों में से एक है।

अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की है विशेषता

उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव या नगर तथा अपने विद्यालयों तथा शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को हमेशा आगे बढ़ाते रहें। उन्होंने कहा कि उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नई आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे।अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है। जो नायकों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरोजिनी नायडू, कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक- ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुगार्बाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर तथा सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं।

भारत का संविधान हमारा प्रकाश स्तम्भ रहा है

संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान, हमारा प्रकाश-स्तम्भ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निमार्ताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलते हुए लगातार आगे बढ़ते रहना है।

अपने कार्यकाल के दौरान पूरी योग्यता से किया है दायित्वों का निर्वहन

राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं।