'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर केन्द्र का बड़ा फैसला, पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में बनाई समिति
देश में एक ही चुनाव कराने को लेकर केन्द्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, केन्द्र सरकार ने 'एक देश एक चुनाव' को लेकर एक समिति का गठन किया है। इस समिति का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया है। रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी यह समिति 'वन नेशन वन इलेक्शन' के मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव कराने की तैयारी करेगी या नहीं।
बता दें कि एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ ही करा लिए जाएं। देश के आजाद होने के कुछ समय बाद तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही कराए जाते थे लेकिन इस प्रथा को बाद में खत्म करके विधानसभा और लोकसभा चुनाव को अलग-अलग से कराया जाने लगा।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केन्द्र सरकार संसद के इस विशेष सत्र के दौरान एक देश एक चुनाव को लेकर बिल भी ला सकती है। बता दें कि संसद के इस विशेष सत्र में पांच बैठकें होंगी, पुराने संसद भवन में शुरू होकर नए में खत्म हो सकता है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया था कि 18 से 22 सितंबर तक दोनों सदनों का विशेष सत्र रहेगा। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। इसमें 5 बैठकें होंगी।
वन नेशन-वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।