भारत के 8 रहस्यमय मंदिर, बेहद चौंकाने वाला है 5वें मंदिर का रहस्य
भारत आस्था, भक्ति और अध्यात्म का देश है। यहां प्राचीन काल से ही मंदिर पूजा और आराधना के लिए विशेष केंद्र रहे हैं। इन मंदिरों में कई मंदिर ऐसे हैं, जो अपने चमत्कारों और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। कुछ मंदिरों के रहस्य इतने विस्मयकारी हैं कि उनपर सहज विश्वास करना मुश्किल है। इन रहस्यों के आगे विज्ञान भी मौन है। आइए जानते हैं, भारत के आठ मंदिरों के बारे में, जिनका रहस्य आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति के बाद आज भी एक राज है।
1. राजस्थान का चूहों वाली माता का मंदिर
करणी माता का मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है। इस मंदिर को ‘चूहों वाली माता का मंदिर’ भी कहते हैं, क्योंकि यहां पूरे मंदिर में काफी संख्या में चूहे घूमते रहते हैं। रोचक बात यह है अधिकाश चूहे काले रंग के होते हैं। हालांकि, इनमें कुछ चूहे सफेद भी होते हैं, जो काफी दुर्लभ हैं और किसी-किसी को ही दिखाई देते हैं। मान्यता है कि जिसे सफेद चूहा दिख जाता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां चूहे इतनी अधिक संख्या में हैं कि लोग पांव उठाकर सही से चल भी नहीं पाते हैं। उन्हें पांव घिसट-घिसटकर चलना पड़ता है, लेकिन मंदिर के बाहर ये चूहे कहीं भी नजर ही नहीं आते हैं।
2. हिमाचल प्रदेश में यहां गिरी थी माता सती की जीभ
आदिशक्ति के एक स्वरूप ज्वाला देवी को समर्पित ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कालीधार पहाड़ी पर स्थित है। माना जाता है कि यहां माता सती की जीभ गिरी थी, जिसके प्रतीक के रूप में यहां धरती के गर्भ से लपलपाती ज्वालाएं निकलती हैं, जो नौ रंग की होती हैं। ये ज्वाला कहां और कैसे निकलती है, यह नौ रंगों में कसे बदलती है, इसका रहस्य खोजने के अनेक प्रयास हुए हैं, लेकिन यह आज भी अनसुलझा है। बता दें, इन नौ रंगों की ज्वालाओं को देवी शक्ति का नौ रूप—महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी—माना जाता है।
3. उज्जैन के इस मंदिर में पल में खत्म हो जाता मदिरा पात्र
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित भगवान काल भैरव का मंदिर शहर से लगभग 8 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। रिवाजों और परम्पराओं के अनुसार, यहां भगवान काल भैरव को प्रसाद के तौर पर केवल केवल मदिरा यानी शराब ही चढ़ाया जाता है। आश्चर्यजनक यह है कि जब मदिरा का पात्र भगवान काल भैरव की प्रतिमा की मुख से लगाया जाता है, तो पात्र की मदिरा पल भर में खाली हो जाती है। ऐसा क्यों होता है, यह रहस्य अब भी एक रहस्य है।
4. मेहंदीपुर का भूत-प्रेत से मुक्ति का मंदिर
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। सदियों से लोग भूत-प्रेत, जादू-टोना और बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए दूर-दूर से यहां आते हैं। कहते हैं, जैसे ही भक्त और दर्शनार्थी यहां की प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर के पास पहुंचते हैं, उनमें से कुछ लोग खुद-ब-खुद चीखने-चिल्लाने लगते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा केवल उनके साथ होता है, जो भूत, प्रेत, पिशाच आदि से ग्रसित और बाधित होते हैं। कहते हैं कि इसके बाद उनके शरीर से बुरी आत्माएं, भूत-पिशाच आदि पल भर में बाहर निकल जाती हैं और वे सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। ऐसा क्यों और कैसे होता है, यह कोई नहीं जानता है? बता दें, इस मंदिर में लोगों का रात में रुकना मना है।
5. असम के इस मंदिर का साफ पानी हो जाता लाल
भारत के असम राज्य में गुवाहाटी के पास स्थित कामख्या शहर में कामाख्या देवी का एक अति प्राचीन मंदिर है। यह देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार, यहां देवी सती की योनि गिरी थी। तीन हिस्सों में बने इस मंदिर के एक हिस्से में स्थापित एक पत्थर से लगातार साफ पानी निकलता रहता है, लेकिन हर महीने एक निश्चित अंतराल पर इस पानी का रंग का खून जैसा लाल हो जाता है। यह पानी लाल क्यों हो जाता है, इसका रहस्य अभी तक अज्ञात है। आस्थावानों की मान्यता है कि यह एक जागृत शक्तिपीठ है और आम स्त्री की तरह कामाख्या देवी भी हर महीने रजस्वला होती हैं। इसका प्रमाण स्वच्छ पानी का लाल हो जाना है।
6. इस मंदिर की देवी बदल लेती हैं तीन रंग
स्याही देवी माता का मंदिर उत्तराखंड केअल्मोड़ा जिला में शीतलखेत की पहाड़ियों पर जंगल के बीच में स्थित है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां देवी की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है। कहने का मतलब यह है कि यहां देवी माता के तीन रूप तीन रंगों में नजर आते हैं। कहते हैं, इस मंदिर में सुबह के समय माता सुनहरे रंग में दिखाई देती हैं, तो दिन में स्याह यानी काला और शाम में सांवले रंग में दर्शन देती है। देवी की मूर्ति के रंग बदलने का रहस्य कोई भी नहीं जानता है।
7. यह मंदिर देता है बारिश की पूर्व-सूचना
उत्तरप्रदेश के शहर कानपुर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे बेहटा गांव में एक ऐसा मंदिर है, जो बारिश आने की पूर्व भविष्यवाणी करने के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। यहां अक्सर देखा गया है कि तेज चिलचिलाती धूप में भी कई बार इस मंदिर की छत से अचानक ही पानी टपकने लगती है। स्थानीय निवासियों के अनुसार यह घटना वर्षा होने के लगभग छह-सात दिन पहले होता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि जैसे ही बारिश आरंभ होती है, मंदिर की छत से टपकता पानी अपने आप ही बंद हो जाता है। यह वास्तव में हैरान कर देने वाला तथ्य है, लेकिन भगवान जगन्नाथ के इस अति प्राचीन मंदिर में हमेशा ऐसा होता आया है।
8. जब भगवान तिरुपति को आता है पसीना
आंध्र प्रदेश के तिरुपति में बालाजी वेंकटेश्वर की अलौकिक प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर और यहां की प्रतिमा तो जैसे रहस्यों का पिटारा है। तिरुपति की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह जीवंत है। जिसका प्रमाण यह है कि प्रतिमा को पसीना आता है। प्रतिमा पर पसीने की बूंदें साफ देखी जा सकती हैं। इसलिए मंदिर का तापमान कम रखा जाता है। इस मंदिर में हमेशा एक दीपक जलता रहा है, लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि इस दीये में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता है, तब भी यह प्रकाशित रहती है। केवल इतना ही नहीं, इस मंदिर में और भी ऐसे अनेक रहस्य हैं, जिसे जानकर हर कोई विस्मय में पड़ जाता है।