शशांक मनोहर ने दिया आईसीसी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा

By Tatkaal Khabar / 15-03-2017 03:50:30 am | 10785 Views | 0 Comments
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नई दिल्ली: शशांक मनोहर ने  निजी कारणों के चलते आज आईसीसी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। वे इस पद पर मई 2016 को निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। ये पहले स्वतंत्र चेयरमैन बने थे। उन्होंने दो साल के लिए इस पद बने रहने के लिए हस्ताक्षर किया था। मनोहर सिर्फ आठ महीने के लिए इस पद पर रहे। मनोहर ने आईसीसी सीईओ डेव रिचर्डसन को ईमेल के जरिये इस्तीफा भेजा जिसमें अचानक उनके यह कदम उठाने के कारण को स्पष्ट नहीं किया गया है. 59 साल के मनोहर का कार्यकाल दो साल का था. हालांकि सूत्रों के अनुसार मनोहर ने पद छोड़ने का फैसला किया क्योंकि ऐसा लगता है कि बीसीसीआई ने संवैधानिक और वित्तीय सुधारों को रोकने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटा लिया है जिसे आईसीसी की अगली बोर्ड बैठक में पारित किया जाना था. किसी भी सुधारवादी कदम को पारित करवाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती है लेकिन संभावना है कि बीसीसीआई बांग्लादेश, श्रीलंका और जिंबाब्वे को अपनी तरफ करने में सफल रहा है. पता चला है कि इसी कारण से मनोहर ने तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देने का फैसला किया है. मनोहर ने इस्तीफा देते हुए पत्र में लिखा, ‘मुझे पिछले साल निर्विरोध आईसीसी का पहला स्वतंत्र चेयरमैन चुना गया था। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की और सभी निदेशकों के सहयोग से बोर्ड के संचालन और सदस्य बोर्ड से जुड़े मामलों का फैसला करते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष रहने का प्रयास किया.’ मनोहर ने कहा, ‘हालांकि निजी कारण से मेरे लिए यह संभव नहीं है कि मैं आईसीसी चेयरमैन के गरिमामयी पद पर बना रह पाऊं और इसलिए तुरंत प्रभाव से चेयरमैन के रूप में इस्तीफा दे रहा हूं.’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस मौके पर सभी निदेशकों, प्रबंधन और आईसीसी के स्टाफ का मेरा समर्थन करने के लिए तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं. मैं आईसीसी को शुभकामना देता हूं और उम्मीद करता हूं कि यह नयी उंचाइयां हासिल करे. मनोहर ने पिछले साल बीसीसीआई अध्यक्ष पद छोड़ दिया था और इसका कारण यह बताया था कि वह लोढा समिति की सिफारिशों को जस का तस लागू कराने में अक्षम हैं. उस समय बीसीसीआई में उनके आलोचकों ने कहा था कि आईसीसी में सुरक्षित स्थान के लिए वह डूबते जहाज तो छोड़कर चले गए हैं. वह आईसीसी के पहले स्वतंत्र चेयरमैन बने लेकिन इस दौरान राजस्व साझा करने के फार्मूले को लेकर बीसीसीआई के साथ कई बार उनका टकराव हुआ. बीसीसीआई अधिकारियों का मानना था कि आईसीसी की अगुआई करने की निजी महत्वकांक्षा के कारण मनोहर ने बीसीसीआई के हितों पर ध्यान नहीं दिया. उनके संवैधानिक सुधार के कदमों का बीसीसीआई और श्रीलंका ने कड़ा विरोध किया था. पेशे से वकील शशांक मनोहर 2008 से 2011 के बीच पहली बार बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे।