इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए योगी सरकार की जमकर प्रशंसा की

By Tatkaal Khabar / 27-05-2021 03:25:22 am | 8884 Views | 0 Comments
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लखनऊ, 27  मई 

अभी कुछ दिन पहले कोरोना के इलाज को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी करने के बाद गुरुवार को इलाहाबाद  उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए  योगी सरकार की जमकर प्रशंसा की। 

      जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोविड प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार की तारीफ की।  अदालत ने प्रदेश सरकार के ओर से दी गयी रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए हालाँकि कोई आदेश पारित नहीं किया और सुनवाई के लिए जून के दूसरे सप्ताह में कोई तारीख तय करने का निर्देश दिया। 

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की इसी बेंच ने कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को  राम भरोसे बताया था।

      अदालत ने राज्य सरकार द्वारा बहराइच, श्रावस्ती , बिजनौर, बाराबंकी और जौनपुर ज़िले में उपलब्ध मेडिकल सुविधाओं के संबंध में दाखिल रिपोर्ट का संज्ञान लिया और कहा योगी सरकार के स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में उठाये गए कुछ कदम प्रशंसा के योग्य हैं।  अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख पर पांच और  ज़िलों भदोही, ग़ाज़ीपुर, बलिया , देवरिया और शामली की मेडिकल सुविधाओं के बारे में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। 

      इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरटीपीसीआर, एंटीजन ,ट्रूनेट टेस्ट और सी टी स्कैन की दरें निर्धारित किये जाने की  सरकार की पहल पर विशेष तौर पर संतुष्टि ज़ाहिर की।  ज्ञातव्य है कि कुछ निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम द्वारा डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए अनाप शनाप पैसे वसूलने  के सम्बन्ध में कतिपय शिकायतों का मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं संज्ञान लिया था और सरकार की और से सभी टेस्ट की दरें निर्धारित कर दी थीं जिसका आम जनता ने बेहद स्वागत किया था। इस सम्बन्ध में अदालत ने इसका सकारात्मक संज्ञान लिया कि सरकार की ओर से आरटीपीसीआर की दर 500 रूपए से 900 रूपए के बीच,  एंटीजन टेस्ट 200 रूपये,  ट्रूनेट टेस्ट 1200 रूपए  और सी टी स्कैन 2000 रूपए से 2500 रूपए के बीच निर्धारित की गयी हैं। 

     सुनवाई के दौरान स्वर्गीय जस्टिस वी के श्रीवास्तव के इलाज की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट भी अदालत में पेश की गयी।