सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहा है गजछाया योग, इस एक उपाय से मिलेगा असीमित धन लाभ
इस साल में पितृ पक्ष ऐसा समय लेकर आता है जब लोग स्वयं को अपने पितरों से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। उन्हें अपने करीब पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान आत्माओं को मुक्त कर दिया जाता है। इस अवधि में वो पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने परिवार के पास जाकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इस पितृ पक्ष का समापन आश्विन महीने की अमावस्या तिथि को होता है। इसे सर्वपितृ अमावस्या या महालय अमावस्या या विसर्जनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उन पितरों का तर्पण-श्राद्ध करने का विधान है जिनकी तिथि हमें ज्ञात न हो। जानते हैं इस साल सर्वपितृ अमावस्या किस तारीख को है और इस दिन कौन सा योग बनने जा रहा है। साथ ही जानते हैं इस दिन से जुड़े विशेष उपाय के बारे में।
साल 2021 में सर्वपितृ अमावस्या की तिथि आश्विन महीने की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या तिथि के श्राद्ध और तर्पण करने का विधान कहा गया है। अमावस्या तिथि का आरंभ: 5 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 04 मिनट से शुरू होगा अमावस्या तिथि का समापन: 6 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 35 मिनट तक आपको बता दें कि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 6 अक्टूबर को होने के कारण सर्वपितृ अमावस्या 6 तारीख को पड़ेगी। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है।
सर्व पितृ अमावस्या पर बनेगा गजछाया योग साल 2021 में पड़ने वाले सर्व पितृ अमावस्या के दिन गजछाया योग बनने वाला है। यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। 2021 के बाद अब यह योग 2029 में बनेगा। इस योग को काफी शुभ माना गया है। 6 अक्टूबर के दिन सूर्य देव और चन्द्रमा दोनों ही सूर्योदय से लेकर शाम के 4 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में रहेंगे। इसके फलस्वरूप ही गजछाया योग का निर्माण होगा। ऐसा माना जाता है कि गजछाया योग में श्राद्ध कर्म करने से पितर प्रसन्न होते हैं और ढेरों आशीर्वाद अपने परिवार को देते हैं। इस योग की महत्ता बहुत अधिक मानी गयी है। इस अवधि में तर्पण करने से कर्ज मुक्ति भी मिलती है। घर परिवार में धन का आगमन होता है साथ ही सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। इस योग में दान-तर्पण करने से लगभग बारह वर्षों तक पितरों को इसका लाभ मिलता है।