गलत दिशा में सोने से पति-पत्नी के बीच में पड़ जाती है दरार, किस तरफ भूलकर भी न सोएं
दांपत्य जीवन अगर ठीक नहीं चल रहा है तो वास्तुदोष इसका कारण हो सकता है. दांपत्य जीवन कटुरता से भरने पर पति और पत्नी दोनों ही परेशान रहते हैं. पहले पति बाहर के काम देखता था, पत्नी सुगृहिणी की तरह घर की सारी व्यवस्थाएं देखती थी, किंतु आज के समय में स्थिति बदल गयी है. पति-पत्नी दोनों ही नौकरी कर रहे हैं तो मामला बराबरी का है. आइए इस लेख में जानते हैं कि पति-पत्नी को अपने बेडरूम में किस तरह सोना चाहिए, ताकि दोनों के बीच अच्छा सामंजस्य बना रहे.
पति-पत्नी के लिए शास्त्र में हैं कुछ नियमपति-पत्नी के सोने के संबंध में शास्त्र में नियम बताए गए हैं. शास्त्र सम्मत तरीके से काम करने से परिवार व दांपत्य में शांति बनी रहती है. दांपत्य जीवन सुखी रहता है और सारे काम बनते चले जाते हैं. पति और पत्नी एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं और दोनों पहियों के एक साथ चलने पर ही गाड़ी आगे बढ़ती है. आपस में प्यार बढ़ता रहे तो खुशी मिलती है. शास्त्र कहते हैं धार्मिक अनुष्ठान जैसे बच्चे का नामकरण, अन्नप्राशन, विवाह, कन्यादान, यज्ञ पूजा पाठ, जाप कर्म आदि में पत्नी को दाईं तरफ बैठना चाहिए. वैसे पत्नी को वामांगी कहा जाता है जैसे अर्धनारीश्वर के स्वरूप में माता पार्वती और भगवान शंकर हैं. धार्मिक, आध्यात्मिक और पारलौकिक कार्यों को छोड़कर बाकी सांसारिक कार्यों में पत्नी का स्थान बायीं तरफ रहना चाहिए जैसे किसी सभा में, सोते समय, भोजन करते समय, आशीर्वाद ग्रहण करते समय आदि.क्या कहता है वास्तु शास्त्रवास्तु कहता है घर का मुखिया यानी घर के संचालन कर्ता को हाई एनर्जी जोन में सोना चाहिए. दक्षिण दिशा में सोना चाहिए. कमरे छोटे होते हैं उनमें एक डबल बेड डालने के बाद काफी सीमित स्थान बचता है इसलिए यह ध्यान देना जरूरी है कि बेड के किस दिशा में सोएं. यहां पर चार साइड हो सकती हैं. बेड ऐसा रखना चाहिए कि सोने वाले दंपति का पैर दक्षिण दिशा में न हो दक्षिण दिशा में पैर करने से शरीर की ऊर्जा का नाश होता है. वैज्ञानिक तरीके से समझे उत्तर प्लस है और दक्षिण माइनस. इसी तरह हमारे शरीर का पैर माइनस है और सिर प्लस. इसलिए दिशा का माइनस माइनस और प्लस प्लस एक तरफ नहीं होने चाहिए. सबसे अच्छा होता है दक्षिण दिशा में सिर करें और उत्तर दिशा में पैर.