पूरी दुनिया में हिंदी विद्वानों को मिल रहा सम्मान
विदेश मंत्री एसo जयशंकर ने बुधवार को नांदी, फिजी में 12 वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में फिजी के राष्ट्रपति रातू विलिमे मैवालीली कातोनिवेरे भी मौजूद रहे। जहाँ विदेश मंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। विदेश मंत्री ने विश्व हिंदी सम्मेलन को किया संबोधित किया और संसदीय सहयोगियों के साथ नांदी में शिव सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर में दर्शन भी किए। इस बार के सम्मेलन का मुख्य विषय 'हिंदी-पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' है। सम्मेलन स्थल पर हिंदी भाषा के विकास से संबंधित अनेक प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। एक ट्वीट में विदेश मंत्री एसo जयशंकर ने बताया कि नांदी में श्री शिव सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर में दर्शन किए। साथ ही अपने संसदीय सहयोगियों के साथ फ़िजी में समृद्ध हमारी जीवंत संस्कृति और परंपराओं को प्रत्यक्ष रूप से देखा। गौरतलब है कि जयशंकर मंगलवार को नांदी पहुंचे, जहां फिजी के शिक्षा मंत्री असेरी राड्रोडो ने उनका स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि वे दुनिया भर के हिंदी उत्साही लोगों से मिलने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए राड्रोडो को धन्यवाद भी दिया। विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन फिजी के नांदी में 15 से 17 फरवरी तक भारत और फिजी की सरकारों द्वारा सह मेजबानी में हो रहा है। विश्व हिंदी सम्मेलनों की परिकल्पना 1973 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा द्वारा की गई थी। पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन 10-12 जनवरी 1975 को नागपुर, भारत में किया गया था। अभी तक विश्व के विभिन्न भागों में 11 विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। इस बार सम्मेलन के दौरान भारत और अन्य देशों के हिंदी विद्वानों को हिंदी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।