दुल्हन के नाम को लेकर शादी के कार्ड पर अनोखा रिवाज – पाक

By Tatkaal Khabar / 17-06-2018 04:15:46 am | 30323 Views | 0 Comments
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पाकिस्तान में एक अजीब रिवायत को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यहां शादी के कार्ड के पर दुल्हन का नाम न छापने का रिवाज है जिसका कारण बहुत ही अनोखा बताया जा रहा है। पाक के ख़ैबरपख्तूनख़्वा इलाके के ज़िले चारसद्दा में रहने वाले रौफ़ ख़ान जो एक निजी कंपनी में काम करते हैं नेै बताया उनकी शादी को एक साल हो चुका है।उनकी पत्नी के पास दोहरी नागरिकता है और वो पाकिस्तान से बाहर रहती हैं।रौफ़ चाहते हैं कि वो देश से बाहर जा कर अपनी पत्नी के साथ रहें लेकिन इसके लिए ज़रूरी कागज़ी कार्रवाई में एक रुकावट आ गई है।ज़रूरी वीज़ा के लिए डॉक्यूमैंट के तौर पर शादी का कार्ड पेश किया जा सकता है। लेकिन, जब रौफ़ ने शादी का कार्ड छपवाया था तो उसमें दुल्हन यानी उनकी पत्नी का नाम नहीं था और इस कारण रौफ़ को अब अपनी पत्नी के पास जाने में वक्त लगने वाला है। रौफ़ और उनके परिवार ने साल भर पहले शादी के मौक़े पर नाते-रिश्तेदारों और दोस्तों को निमंत्रण देने के लिए 500 कार्ड छपवाए थे। लेकिन शादी के इन कार्ड की ख़ास बात ये थी कि इससे दूल्हे की पहचान तो पता चलती है लेकिन इस बात अंदाज़ा नहीं लगता कि दुल्हन कौन है। ऐसा इसलिए क्योंकि शादी के कार्ड में दूल्हे का नाम तो है, लेकिन दुल्हन का नाम छापा ही नहीं गया कार्ड में ऊपर की तरफ दूल्हे यानी रौफ़ का नाम लिखा है जिसके बाद उनके पिता का नाम लिखा है।
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इसके नीचे दुल्हन के नाम की जगह पिता कुछ इस तरह लिखा है- ‘अमुक की बेटी’। जिसके पास भी ये कार्ड जाएगा उसे इसका पता तो चलेगा कि शादी रौफ़ की है लेकिन किसके साथ है यानी अमुक की बड़ी बेटी से, मंझली बेटी से या फिर छोटी बेटी से इसका पता उन्हें नहीं चलेगा। जब हमने रौफ़ से पूछा कि उनकी होने वाली पत्नी का नाम कार्ड में क्यों नहीं था, तो वो बोले ये हमारी संस्कृति में नहीं है।रौफ ने बताया कि हमारे समाज में नाते-रिश्तेदार दुल्हन के नाम के बारे में जानें, ये अच्छा नहीं माना जाता, इसीलिए कार्ड में पिता के नाम के सिवा दुल्हन की पहचान से संबंधित कोई और बात नहीं लिखी जाती। उन्होंने कहा किकोई नहीं चाहता कि उसकी पत्नी का नाम बाहरवालों को पता हो और इसलिए कोई उनका नाम कार्ड पर प्रिंट नहीं करवाता।रौफ़ कहते हैं कि मुझे पहले नहीं पता था, लेकिन अब मुझे लग रहा है कि मैंने अपनी पत्नी का नाम कार्ड पर लिखा होता को बेहतर होता,मैं अगर अपने वीज़ा के लिए कार्ड भी दे पाता को काम जल्दी हो जाता।पाकिस्तान में शादी के कार्ड पर पत्नी का नाम नहीं छापने वाले रौफ़ अकेले नहीं हैं। पेशावर में प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले जावेद ख़ान कहते हैं कि उनके पास शादी के जो कार्ड प्रिंट होने के लिए आते हैं उनमें से अस्सी फीसदी कार्डों पर दुल्हन का नाम नहीं होता। जावेद कहते हैं कि 20 फ़ीसदी कार्ड अंग्रेज़ी में होते हैं और इनमें दुल्हन के नाम छापने के लिए कहा जाता है. वो कहते हैं कि दुल्हन का नाम लिखने वाले परिवारों को “आधुनिक और पढ़े-लिखे परिवार” माना जाता है।हालांकि रौफ़ इस बात से इत्तेफ़ाक नहीं रखते।वो कहते हैं कि वो कॉलेज गए हैं और पढ़े-लिखे हैं लेकिन उन्होंने समाज के डर शादी के कार्ड पर दुल्हन का नाम नहीं लिखवाया। पेशावर के रहने वाली ज़ीनत बीब एक टेलीविज़न चैनल के लिए काम करती हैं।उनका कहना है कि दो साल पहले उनकी शादी हुई थी और उन्होंने शादी के कार्ड पर दुल्हा और दुल्हन दोनों के नाम लिखवाए थे। ज़ीनत कहती हैं कि देश में महिलाएं अपनी पहचान की बजाय अपने पिता या पति के नाम से ही पहचानी जाती हैं। “यहां तक कि कहीं-कहीं पर महिला के पहचान पत्र में भी उसकी नहीं बल्कि पति या पिता का नाम होता है। वो कहती हैं कि समाज में सभी व्यवस्थाएं पुरुषप्रधान हैं और यही कारण है कि महिला की पहचान वो खुद नहीं होती।