उज्जैन के इस मंदिर को कहा जाता है तांत्रिको का विश्वविद्यालय, चौंसठ पिंड रूप में विराजित हैं माता

By Tatkaal Khabar / 27-03-2023 02:48:29 am | 9186 Views | 0 Comments
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नवरात्रि में वैसे तो मंदिर में प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती के पाठ और महाअष्टमी पर हवन किया जाएगा, लेकिन इस दौरान बंगाल और असम से तांत्रिक मंदिर आएंगे और अपनी साधना की पूर्णता के लिए यहां अनुष्ठान करेंगे.
धर्म की नगरी उज्जैन में न केवल राजाधिराज महाकाल का मंदिर विराजमान है. साथ ही ऐसे कई देवी मंदिर भी हैं जो न केवल चमत्कारी है बल्कि कई पौराणिक गाथाएं भी इन मंदिरों के साथ जुड़ी हुई हैं. पुराने शहर के नयापुरा क्षेत्र मे देवी के रूप में चौंसठ योगिनी का अनूठा मंदिर है. यह मंदिर एक प्रसिद्ध प्राचीन तांत्रिक मंदिर भी है, ऐसा इसलिए क्योंकि इसे तंत्र साधना और पूजा के लिए भी प्रमुख स्थान माना जाता है. एक जमाने में इस मंदिर को तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था.

उस दौर मे इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करके तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए तांत्रिको का जमावड़ा लगा रहता था. मंदिर का नाम सुनकर भक्तों के मन मे यह सवाल जरूर आता है कि यहां देवी रूप मे चौंसठ प्रतिमाएं विराजित होगी, लेकिन मंदिर में पहुंचकर यह बात सही भी साबित हो जाती है क्योंकि यहां माताजी पिंड रूप में 64 देवियों के रूप में विराजमान हैं. जिनके अलग-अलग नाम भी है यह भी मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य के समय से चौंसठ योगिनियों का स्थान है.

नवरात्रि में दूर-दूर से आते हैं भक्त दर्शन करने
प्राचीन काल से यह मंदिर यहां विद्यमान है. यह योगिनियां देवी का ही स्वरूप हैं. चौसठ योगिनी माता मंदिर में यूं तो वर्षभर ही दर्शन-पूजन के लिए भक्त आते रहते हैं और भक्तगण अपनी मुराद पूरी होने पर मां को प्रसाद चढ़ाते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां प्रतिदिन अच्छी खासी रौनक देखने को मिलती है. इस दौरान यहां सैकड़ों श्रद्धालु आकर माँ के दर्शन करते हैं.