क्या है 'विज्ञान धारा' योजना, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम को कैसे होगा बूस्ट?

By Tatkaal Khabar / 25-08-2024 01:29:03 am | 1880 Views | 0 Comments
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत पहले से चली आ रही तीन सरकारी योजनाओं को मिलाकर 'विज्ञान धारा' नाम से एक नई योजना शुरू करने का फैसला किया है। इस नई योजना के तहत सरकार तीन मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिनमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े संस्थानों और मानव क्षमता के विकास; रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी); तथा नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास और उसके इस्तेमाल पर फोकस करना शामिल है।
सरकार द्वारा इस स्कीम के लिए 10,579.84 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का लक्ष्य रखा गया है। योजना की अवधि 2021-22 से 2025-26 तक है और इसमें पुरानी तीनों योजनाओं के लिए अब तक आवंटित राशि भी शामिल है।

'विज्ञान धारा' योजना का उद्देश्य कई प्रमुख क्षेत्रों में रिसर्च को आगे बढ़ाना है। इसमें बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं तक पहुंच के साथ बुनियादी अनुसंधान, सतत ऊर्जा, जल आदि क्षेत्रों में बदलावकारी अनुसंधान, और अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय और बहुपक्षीय भागीदारी के साथ साझा अनुसंधानों को बढ़ावा देना शामिल है।

इस स्कीम का उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं की संख्या बढ़ाकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र को मजबूत करना है। साथ ही इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना भी है।

इस स्कीम के तहत स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा के स्तर पर होने वाले इनोवेशन को सपोर्ट किया जाएगा। साथ ही उद्योग और स्टार्टअप को सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थाओं, सरकार और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ाने का भी लक्ष्य रखा गया है।

'विज्ञान धारा' योजना के जरिये सरकार की कोशिश एकल फ्रेमवर्क तैयार करना है जिससे फंड का प्रभावी तरीके से उपयोग हो सके। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ सभी क्षेत्रों को मिल सके।

सरकार की ओर से इस स्कीम को लेकर कहा गया कि 'विज्ञान धारा' योजना के तहत सभी कार्यक्रम डीएसटी के पांच साल के लक्ष्य के अनुरूप होंगे, जिससे विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। योजना का आरएंडडी भाग 'अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन' (एएनआरएफ) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होगा, जबकि इसका कार्यान्वयन वैश्विक मानकों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होगा।