Supreme Court / सिर्फ आरोपी होने के आधार पर घर गिराना सही नहीं- बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: आज सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के मुद्दे पर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जिसमें जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस विवादास्पद विषय पर विचार किया। सुनवाई के दौरान अदालत ने बुलडोजर एक्शन के अधिकार और प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए, जो इस विवाद को एक नई दिशा दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल आरोपी होने के आधार पर किसी व्यक्ति की संपत्ति को गिराया नहीं जा सकता। जस्टिस गवई ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “यदि कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को इस आधार पर गिराया नहीं जा सकता। हमें इस रवैये में बदलाव की जरूरत है।” अदालत ने यह भी देखा कि इस प्रकार की कार्रवाई में उचित कानूनी प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों का पालन होना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलों में बताया कि नगर निगम के कानून के तहत ही ये कार्रवाइयां की जाती हैं और इनका पालन नियमों के अनुसार किया गया है। उन्होंने अदालत को बताया कि नोटिस पहले ही जारी किए गए थे और संबंधित पक्षों को समय पर पेश होने का अवसर दिया गया था। हालांकि, जस्टिस विश्वनाथन ने इसे स्वीकारते हुए कहा कि किसी भी पक्ष को कानून की कमियों का लाभ नहीं उठाना चाहिए।
अदालत ने इस मामले में दिशा-निर्देशों की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए कहा कि सभी पक्षों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए एक राष्ट्रीय स्तर पर गाइडलाइन तैयार की जाएगी। इस गाइडलाइन के माध्यम से पूरे देश में समान और न्यायपूर्ण तरीके से बुलडोजर एक्शन की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख तय की है, और सभी पक्षकारों से सुझाव मांगे हैं ताकि एक व्यापक और सुव्यवस्थित नीति तैयार की जा सके। इस निर्णय से यह संकेत मिलता है कि अदालत इस संवेदनशील मुद्दे को न्यायपूर्ण और समान आधार पर सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।
दोषी हो तब भी नहीं गिराया जा सकता है घर
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि सिर्फ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है? अगर वह दोषी भी है तो भी घर नहीं गिराया जा सकता। हमें रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के सामने गलत ढंग से याचिकाकर्ता मामले को रख रहे हैं। ये कार्रवाई नियमों का पालन करते हुए की गई है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस कार्रवाई से पहले नोटिस बहुत पहले जारी किए गए थे, लेकिन ये लोग पेश नहीं हुए। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि किसी को भी कमियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए। वहीं जस्टिस गवई ने कहा कि अगर निर्माण अनाधिकृत है, तो ऐसे मामलों में भी यह कानून के अनुसार होना चाहिए।
जल्द बनाए जाएंगे दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में गाइडलाइन बनाए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करेंगे, जो पूरे देश भर में लागू होगा इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से सुझाव मांगा है। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों का सुझाव आने दीजिए, हम राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करेंगे। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख तय की गई है।