Maharashtra Election 2024 / उद्धव ठाकरे से फडणवीस की हुई थी मुलाकात,सियासी अटकलें तेज

By Tatkaal Khabar / 21-10-2024 01:02:20 am | 1447 Views | 0 Comments
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Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान जारी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी 99 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अब तक कोई अंतिम समझौता नहीं हो सका है। इस खींचतान के बीच उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
उद्धव ठाकरे-फडणवीस मुलाकात: सियासी अटकलें तेज
सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच हाल ही में एक मुलाकात हुई थी। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात की पहल उद्धव ठाकरे की ओर से की गई थी। हालांकि, इस बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा हुई, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। राजनीतिक गलियारों में इसे प्रेशर पॉलिटिक्स यानी दबाव की राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी के बीच सीट शेयरिंग में चल रही खींचतान को सुलझाने के लिए हो सकता है।
यह मुलाकात तब हुई है जब महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे को लेकर गतिरोध बना हुआ है। कांग्रेस और शिवसेना के उद्धव गुट के बीच सीटों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है, जिससे चुनावी रणनीतियों में देरी हो रही है। ऐसे में, उद्धव और फडणवीस की मुलाकात से राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के संकेत मिल सकते हैं।
क्या उद्धव का बी प्लान है तैयार?
उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद जारी हैं। अगर इन मतभेदों का हल नहीं निकलता, तो राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उद्धव ठाकरे का "बी प्लान" पहले से तैयार है। इस योजना के तहत, अगर कांग्रेस के साथ बात नहीं बनती, तो उद्धव ठाकरे कोई और बड़ा कदम उठा सकते हैं।
राजनीति में संबंधों की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। भाजपा और शिवसेना (उद्धव गुट) पहले भी साथ मिलकर सरकार चला चुके हैं, और ऐसे में यह भी संभव है कि उद्धव ठाकरे इस पुराने गठबंधन को फिर से जीवित करने की दिशा में कदम बढ़ाएं। शिवसेना के विभाजन और एकनाथ शिंदे के अलग होने से उद्धव ठाकरे को राजनीतिक नुकसान हुआ है, ऐसे में वे अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कोई भी अप्रत्याशित कदम उठा सकते हैं।