UCC को लेकर अमित शाह का ये बड़ा ऐलान, क्या नीतीश-नायडू मानेंगे बात?
UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने को लेकर पक्का इंतजाम हो गया है! केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसको लेकर बड़ा ऐलान किया. उनके बयान से ही इस बात के संकेत मिल रहे हैं. अमित शाह ने राज्यसभा में कहा था कि बीजेपी शासित हर राज्य समान नागरिक संहिता लागू करेंगे, जैसे कि उत्तराखंड में लागू किया गया है. मगर कई सवाल अभी उठ रहे हैं जैसे- उन राज्यों का क्या, जहां एनडीए की सरकार है, लेकिन गैर बीजेपी मुख्यमंत्री है और क्या नीतीश कुमार और चंद्रबाडू नायडू अमित शाह की बात मानेंगे.
BJP के एजेंडे में यूनिफॉर्म सिविल कोड
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर तो सरकार अपने कदम बढ़ा चुकी है. एक देश एक चुनाव बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा जा चुका है. इसके तरह ही यूसीसी का मुद्दा भी बीजेपी के लिए एजेंडे में रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि जब तक भारत समान नागरिक संहिता नहीं अपनाता, तब तक लैंगिक समानता नहीं हो सकती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई मौकों पर यूसीसी लागू किए जाने को लेकर अपना बयान देश की जनता के सामने रख चुके हैं.
…देश में सेकुलर सिविल कोड हो: पीएम मोदी
इस साल स्वतंत्रता दिवस पर भी पीएम मोदी ने कहा था कि, ‘देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूसीसी की चर्चा की है. अनेक बार आदेश दिए हैं, क्योंकि, देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं, वो सचमुच में एक कम्युनल और भेदभाव करने वाला है. जो कानून धर्म के आधार पर बांटते हैं. ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं. उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता, अब देश की मांग है कि देश में सेकुलर सिविल कोड हो.’
क्या नीतीश-नायडू मानेंगे शाह की बात?
ये पहली बार नहीं था जब अमित शाह ने यूसीसी को लेकर इतना बड़ा बयान दिया हो. वे पहले भी यूसीसी को लेकर अपना आवाज बुलंद कर चुके हैं. अमित शाह कहते हैं कि यूसीसी बीजेपी का मुद्दा नहीं है, ये जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जमाने में भी उठाया जाता रहा है. समान नागरिक संहिता लागू होने से देश में एक बड़ा सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार आएगा.
अब आइए अपने मूल सवाल पर लौटते हैं कि यूसीसी पर क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के चीफ मिनिस्टर चंद्रबाबू नायडू अमित शाह की बात मानेंगे. ये सवाल इसलिए क्योंकि ये दोनों केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए में बड़ी भूमिका में हैं. इनकी अहमियत को समझें तो ये कहा जा सकता है कि केंद्र की एनडीए सरकार इन्हीं के कंधों पर टिकी हुई है.
नीतीश कुमार शुरू से ही यूसीसी लागू किए जाने के खिलाफ रहे हैं. वे कई मौकों पर कह चुके हैं कि बिहार में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू नहीं होने देंगे. वहीं, चंद्रबाबू का यूसीसी पर स्टैंड चंद्रबाबू नायडू जैसा ही रहा है. उन्होंने एक बार कहा था कि वो हमेशा मुस्लिमों के हितों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़े रहेंगे और उनकी पार्टी मुस्लिम हितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगी. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि अमित शाह का ऐलान इन दोनों नेताओं के ऊपर दवाब बनाने में कितना कामयाब हो पाएगा.