अगर कुंडली में मंगल दोष है तो असफल वैवाहिक जीवन सहित अनेक बाधाएं आती हैं, राहत के उपाय!

By Tatkaal Khabar / 10-02-2025 06:20:24 am | 1560 Views | 0 Comments
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जन्म कुंडली में लग्न/चंद्र से 1, 4 ,7 और 12वें भाव में यदि मंगल ग्रह स्थित हो तो कुंडली में मंगल दोष का निर्माण होता है। इस दोष के चलते व्यक्ति को असफल वैवाहिक जीवन सहित कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मंगल दोष का प्रभाव जन्म कुंडली में मंगल के कारकत्व के सापेक्ष कम-ज्यादा होता है, मंगल दोष से राहत के लिए ये उपाय हैं। प्रमुख रूप से मंगल दोष जन्म लग्न के सापेक्ष देखा जाता है जो संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है, लेकिन चन्द्र कुंडली से मंगल दोष होने पर आध्यात्मिक सुख का अभाव रहता है तो शुक्र कुंडली में मंगल दोष से जीवन में भौतिक सुख का अभाव रहता है। मंगल दोष निवारण के लिए उज्जैन में प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर है, जिसमें श्रद्धालु मंगलदेव के शुभ आशीर्वाद हेतु, मंगल दोष मुक्ति हेतु पूजा-अर्चना करते हैं।
शिव स्वरूप में मंगल- भूमि प्राप्ति, धन प्राप्ति, संतान प्राप्ति, शीघ्र विवाह, कर्ज मुक्ति सहित एक्कीस विभागों के अधिपति हैं, इसलिए यहां विधिपूर्वक पूजन से इन क्षेत्रों में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं, जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। मंगल दोष शांति के पूर्ण विधान में गणेशांबिका एवं शिवपूजन, षोडशमातिका एवं सप्तघृतमातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, अग्रि पूजन, नवग्रह एवं रूद्रास्थापना पूजन, पुण्याह वाचन पूजन, पितरों का नांदी श्राद्ध पूजन, मंगल ग्रह का भात पूजन एवं मंगल दोष हवन होता है।
देवी त्रिपुरा के नौ रूप हैं, जिनकी नवरात्रि में आराधना की जाती है। देवी का द्वितीय स्वरूप- देवी ब्रह्मचारिणी हैं, जिनकी हर शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर पूजा-अर्चना की जाती है। क्योंकि, देवी ब्रह्मचारिणी ने शिवजी के लिए केवल फल-फूल-पत्ते खाकर घोर तपस्या की थी, इसलिए जो श्रद्धालु तपस्या में मनोबल बनाए रखना चाहते हैं, वे देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना करें। त्रिपुरा सुंदरी के प्रमुख उपासक रहे दिवंगत पंडित लक्ष्मीनारायण द्विवेदी मंगल दोष निवारण के लिए देवी त्रिपुरा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा, व्रत और आराधना की सलाह देते थे।
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना से मंगल ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती है, इसलिए जिनकी कुंडली में मंगल दोष है, जिनकी राशि मेष या वृश्चिक है, उन्हें उदयपुर संभाग के तलवाड़ा, बांसवाड़ा स्थित देवी त्रिपुरा की आराधना से संपूर्ण सुख की प्राप्ति होती है। भूमि प्राप्ति, ऋण मुक्ति, रक्त रोग मुक्ति और पदोन्नति के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करें. जिन श्रद्धालुओं के रक्त संबंधियों से मतभेद हों वे संकल्प लेकर देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना करें, विवाद से राहत मिलेगी। देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है।
इस अवसर पर ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है जिनकी सगाई हो गई है, लेकिन शुभ-विवाह नहीं हुआ है। मनोकामना पूर्ण करने के लिए संकल्प लेकर हर शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को व्रत करें और देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करें। व्यक्ति की जन्म कुंडली में लग्न के सापेक्ष मंगल ग्रह की उपस्थिति आदि के कारण यदि मंगल दोष है, मंगल अकारक है तो मंगलवार को मंगल से संबंधित वस्तुओं का दान करें, अशुभ प्रभाव कमजोर होगा।
वैसे मंगल दोष, अकारक मंगल की जानकारी ज्योतिषीय गणना से संभव है, जो कोई जानकार ज्योतिषी बता सकता है लेकिन इसके अलावा कई ऐसे संकेत भी है जिनसे व्यक्ति स्वयं मंगल का कारकत्व जान सकता है। जिनका मंगल अकारक होता है उन्हें भाई और रक्त संबंधियों का आवश्यक सहयोग नहीं मिलता है। जिनका मंगल अकारक होता है उन्हें जमीन प्राप्त करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और अक्सर जमीन हाथ से निकल जाती है।
जिनका मंगल अकारक होता है उन्हें अक्सर रक्तदोष से संबंधित रोगों की शिकायत रहती है। जिनका मंगल अकारक होता है वे अक्सर ऋणग्रस्त रहते हैं तथा जमा पूंजी अचानक निकल जाती है. जिनका मंगल अकारक होता है, जन्म पत्रिका में मंगल जिस भाव में होता है उस भाव के सुख को नष्ट कर देता है। मंगल अकारक होने पर श्रीगणेश, श्रीराम और महावीर हनुमान की पूजा करें।
मंगल अकारक होने पर मंगलवार को रक्त संबंधियों को तांबे के पात्र, गुड़, स्वर्ण, लाल रंग की वस्तुएं, बिजली का सामान, मसूर की दाल आदि भेंट करें। नियमित रक्तदान से भी मंगल दोष में राहत मिलती है। ऐसी ज्योतिर्धारणा है कि अगर एक मांगलिक व्यक्ति दूसरे मांगलिक व्यक्ति से विवाह करता है, तो मंगल दोष दूर हो जाता है।
कुंभ विवाह, विष्णु विवाह, अश्वत्थ विवाह- अर्थात....वृक्ष से विधिवत विवाह कराकर मंगल दोष से राहत प्राप्त कर सकते हैं। इनके अलावा लाल किताब के भी- चिड़ियाओं को मीठा खिलाना, घर पर हाथी-दांत रखना, बरगद के पेड़ की मीठे दूध से पूजा आदि उपाय भी किए जाते हैं!