यूएन में बोले जयशंकर- 'परमाणु हमले की धमकी से न डरे दुनिया, आतंकवाद के खिलाफ उठाएं आवाज'

By Tatkaal Khabar / 01-07-2025 01:59:50 am | 542 Views | 0 Comments
#

न्यूयॉर्क। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते करते हुए दुनिया को एकजुट होने की अपील की। उन्होंने वैश्विक समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाने की अपील करते हुए कहा कि किसी देश के परमाणु ब्लैकमेल के सामने नहीं झुकना चाहिए। डॉ. जयशंकर 30 जून से 2 जुलाई के बीच अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, जिसकी शुरुआत में उन्होंने रविवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘आतंकवाद का मानवीय नुकसान’ नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में 1993 के मुंबई बम धमाकों, 2008 के मुंबई हमलों और पहलगाम हमले जैसे आतंकी कृत्यों को दर्शाया गया है। इसमें पाकिस्तान आधारित कई आतंकी संगठनों और व्यक्तियों के नाम भी शामिल हैं। उद्घाटन के बाद विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा आतंवादी संगठन कुछ देशों के पॉक्सी के तौर पर काम करते हैं। इसलिए ऐसा करने नहीं देना चाहिए। किसी देश के परमाणु ब्लैकमेल के सामने नहीं झुकना चाहिए। पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का पलटवार आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस का साफ पैगाम देता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी और इसके जिम्मेदार आतंकियों को सजा देने की मांग की थी। जयशंकर ने कहा आतंकवाद कहीं भी हो, वह हर जगह शांति के लिए खतरा है। दुनिया को इस समझ के साथ एकजुट होकर जवाब देना होगा। आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों जैसे मानवाधिकार, नियम-कानून और देशों के बीच आपसी रिश्तों के बिल्कुल खिलाफ है। जब कोई देश अपने पड़ोसी के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देता है, जब कट्टरता इसे हवा देती है, जब यह कई गैरकानूनी गतिविधियों को जन्म देता है, तब इसे दुनिया के सामने बेनकाब करना जरूरी है। जयशंकर 1 जुलाई को होने वाली क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के अगले संस्करण में भाग लेने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के निमंत्रण पर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं। बैठक में हिस्सा लेने के लिए जयशंकर सोमवार को वाशिंगटन डी. सी. पहुंचे। बैठक से पहले उन्होंने ‘न्यूजवीक’ से बातचीत में कहा, ‘‘हम एक बहुत ही जटिल व्यापार वार्ता के बीच में हैं या शायद उससे भी थोड़ा आगे बढ़ चुके हैं। स्पष्ट रूप से मुझे उम्मीद है कि हम इसे सफल निष्कर्ष तक ले जाएंगे।