भविष्य में पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अभी से आवश्यक कदम उठाने होंगे: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

By Tatkaal Khabar / 07-10-2018 03:51:58 am | 10385 Views | 0 Comments
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लखनऊ: 07 अक्टूबर, 2018
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने कहा कि राज्य सरकार बुन्देलखण्ड की पेयजल समस्या का समाधान करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है। भविष्य में पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अभी से आवश्यक कदम उठाने होंगे। गंगा जी और यमुना जी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनकी अविरलता बनाए रखने तथा इनमें प्रचुर मात्रा में जल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इन पर जल आपूर्ति हेतु निर्भरता कम करनी होगी। राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में भी आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए इनके तटों पर निश्चित अन्तराल पर जल संचयन के लिए विशाल तालाबों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, भूगर्भ जल रिचार्जिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां अपने आवास पर बुन्देलखण्ड में पेयजल योजनाओं के सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण देखते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों में जल की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा 06 विलुप्तप्राय नदियों को पुनर्जीवित करने की दिशा मंे काम किया जा रहा है। इसके सुखद परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष से ही बुन्देलखण्ड सहित प्रदेश के अन्य जनपदों में जलसंचयन की दिशा में सार्थक प्रयास शुरू कर दिए गए थे, जिसके चलते इस वर्ष अधिकतर क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जी ने महाराष्ट्र राज्य में जल समस्या के समाधान के लिए सरकार, राजनैतिक संगठनों, स्वयंसेवी संगठनों तथा जनसहभागिता से चलाए जा रहे ‘सुजलाम् सुफलाम्’ अभियान पर प्रस्तुतिकरण भी देखा। महाराष्ट्र में यह अभियान सूखा प्रभावित जनपदों में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। इस अभियान को सूखा प्रभावित जनपद में जिला प्रशासन की मदद से लागू किया जाता है। इसके तहत सम्बन्धित जनपद में सबसे पहले विभिन्न वाटरशेड ढांचों जैसे डैम, तालाब, एम0आई0 टैंक, परकोलेशन पाॅण्ड तथा फार्म पाॅण्ड को चिन्हित किया जाता है। 
तत्पश्चात इनके लिए आवश्यक प्रशासनिक और तकनीकी मंजूरियां प्रदान की जाती हैं। इसके बाद मशीनों द्वारा खुदाई का कार्य किया जाता है। बांधों तथा जल इकाइयों से सिल्ट की सफाई की जाती है। नालों को आवश्यकतानुसार चैड़ा और गहरा किया जाता है। मशीनों की उपलब्धता सी0एस0आर0 के माध्यम से की जाती है। 
मशीनों के लिए आवश्यक डीजल की उपलब्धता जिला प्रशासन सुनिश्चित करता है। खुदाई से निकलने वाली उपजाऊ मिट्टी को कृषक अपने खर्चे से अपने-अपने खेतों में पहुंचा देते हैं। इस प्रकार जन सहयोग, जिला प्रशासन, स्वयं सेवी संगठनों, काॅरपोरेट सेक्टर, विभिन्न राजनीति दलों की सम्मिलित सहभागिता से इस अभियान को चलाया जाता है।
 मुख्यमंत्री जी ने इस अभियान की सराहना करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त के नेतृत्व में एक टीम को महोबा तथा हमीरपुर जनपदों में इस अभियान को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने के लिए अध्ययन करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि इन दोनों जनपदों में इस अभियान के तहत स्थानीय आवश्यकता के अनुसार कार्य किया जाए। इसके परिणाम देखने के उपरान्त पूरे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में इसे लागू किया जाएगा, ताकि इस क्षेत्र के गांव-गांव तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में जल संचयन से सम्बन्धित कार्यों को इस अभियान के अनुसार करने पर भी विचार किया जाएगा। 
 इस अवसर पर केन्द्रीय स्वच्छता मंत्रालय के सचिव  परेश्वरन अय्यर, नीति आयोग सी0ई0ओ0 अमिताभ कान्त, मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव सूचना  अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री  एस0पी0 गोयल, महाराष्ट्र के मृदा एवं जल संरक्षण आयुक्त  दीपक सिंगला, नीति आयोग के अन्य अधिकारीगण एवं स्वयं सेवी संगठन भारतीय जैन संगठना के पदाधिकारीगण मौजूद थे।