पीएम मोदी ने अमित शाह को क्यों बनाया है गृहमंत्री, जानिए प्रमुख वजहें

By Tatkaal Khabar / 01-06-2019 03:25:22 am | 10836 Views | 0 Comments
#

मोदी सरकार का सबसे नाटकीय घटनाक्रम रहा अमित शाह का मंत्रिमंडल में होना। जब शपथ दिलाई जा रही थी तो पीएम मोदी के बाद अमित शाह का नंबर तीसरा था। लेकिन जब पोर्टफोलियो की घोषणा हुई तो शाह दूसरे नंबर पर दिखाई दिए। उन्हें गृहमंत्री बनाया गया जो प्रधानमंत्री के बाद दूसरे नंबर का सबसे अहम पद है। दरअसल अमित शाह को गृहमंत्री बनाने की कुछ खास वजहें हैं।

अमित शाह अब देश के गृहमंत्री हैं। यानी पूरे देश की पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के संवैधानिक मुखिया। यही नहीं आईबी जैसी देश की हर छोटी बड़ी घटनाओं पर नजर रखने वाला अहम खुफिया विभाग भी अब उन्हें अपनी हर रिपोर्ट देगा। 

देश की संवैधानिक व्यवस्था में गृहमंत्री का पद प्रधानमंत्री के बाद सबसे अहम माना जाता है। इस पद की अहमियत इसी बात से समझिए कि आजादी के बाद पहली सरकार के समय देश के सबसे कद्दावर नेता वल्लभ भाई पटेल गृहमंत्री ही थे। वाजपेयी सरकार के समय लाल कृष्ण आडवाणी को गृहमंत्री बनाया गया था। गृहमंत्री का पद देश की अखंडता और आंतरिक सुरक्षा के नजरिए से कई बार पीएम से भी ज्यादा अहम साबित होता है। 

अब अमित शाह गृहमंत्री के पद पर हैं। लेकिन इस पद के लिए उनका अनुभव कोई नया नहीं है। 

 गुजरात में गृहमंत्री के तौर पर बेहद सफल रहे हैं अमित शाह 

वह गुजरात में नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2003 से 2010 यानी सात साल तक गृहमंत्री रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने गुजरात को आतंकवाद और अपराध से पूरी तरह सुरक्षित बना दिया था। केन्द्रीय गृहमंत्री के तौर पर अमित शाह का चुनाव दरअसल गुजरात के गृहमंत्री के तौर पर उनके प्रदर्शन का ही नतीजा है।   

अमित शाह तब गुजरात के गृहमंत्री बने थे, जब सांप्रदायिक दंगों की आंच में पूरा प्रदेश तप रहा था। जामनगर, अहमदाबाद, सूरत जैसे इलाकों में माफियाओं की समानांतर सत्ता चलती थी। पाकिस्तान सीमा से गुजरात में धड़ल्ले से तस्करी, घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता था।  

लेकिन अमित शाह ने गुजरात के गृहमंत्री के तौर पर काम करते हुए पूरे गुजरात को सुरक्षित बनाया। उनके दौर में सोहराबुद्दीन शेख, इशरत जहां और जावेद जैसे कई खूंखार आतंकियों का खात्मा किया गया। 


देश में पिछले कुछ दिनों से नक्सलियों का भारी आतंक देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी नक्सलियों ने कई जगहों पर मतदान बाधित करने की कोशिश की और सुरक्षा बलों को निशाना बनाया। खास तौर पर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और झारखंड में अक्सर नक्सली गतिविधियों की खबरें आती हैं। 

लेकिन अब नक्सलियों को गृहमंत्री अमित शाह के कठोर रवैये का सामना करना पड़ेगा। अब नक्सलियों के शहरी समर्थक उनके लिए फंडिंग और जनसमर्थन जुटाने की जुर्रत नहीं करेंगे। क्योंकि उनपर अमित शाह की निगाहें टिकी हुई होंगी। 

 गुजरात के गृहमंत्री के तौर पर काम करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या के लिए मुंबई से आए आतंकियों का मुठभेड़ कराया था। इसके अलावा अपराधी से आतंकवादी बने सोहराबुद्दीन शेख को भी अमित शाह के गृहमंत्री रहते हुए मौत के घाट उतार दिया गया था। 

सोहराबुद्दीन शेख वही आतंकी है जिसने देशभर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए मध्य प्रदेश के झिरन्या गांव के एक कुएं में 50 एके-47 रायफलें जमा की थीं। वह पाकिस्तान के दाऊद इब्राहिम गैंग के संपर्क में था। लेकिन इससे पहले कि सोहराबुद्दीन अपनी खतरनाक साजिश को अंजाम दे पाता समय रहते अमित शाह की पुलिस ने उसका खात्मा कर दिया। यही नहीं सोहराबुद्दीन के पूरे गैंग को खत्म कर दिया गया। 

गुजरात का गृहमंत्री रहते हुए अमित शाह ने पाकिस्तान बॉर्डर से भारत की सीमा में घुसने वाले घुसपैंठियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। जिसकी वजह से आज तक गुजरात की सीमा से कोई भी घुसपैठिया प्रवेश करने की जुर्रत नहीं कर पाता है। जबकि गुजरात की बहुत बड़ी सीमा पाकिस्तान से लगी हुई है। 

पिछले पांच सालों में देश ने देखा है कि आखिर किस तरह देश के अंदर रहकर कुछ लोग देश के गद्दारी करने में जुटे रहते हैं। जेएनयू का टुकड़े टुकड़े गैंग इस बात का उदाहरण है। इसके अलावा शहरी नक्सलियों का भी भारी जाल फैला हुआ है जो देश तोड़ने की नीतियों का समर्थन करते हैं। यही लोग देश में विद्वेष फैलाकर दंगा भड़काने की भी साजिश रचते हैं। 

इस तरह के लोगों ने देश भर में अपनी समानांतर सत्ता कायम कर रखी है। इनमें से कई लोग सभ्य समाज का हिस्सा रहते हुए देशविरोधी गतिविधियां चलाते हैं। लेकिन अमित शाह के गृहमंत्री बन जाने से यह लोग चिंतित हैं।