सांस के रोगियों पर कोई वैक्सीन 100% कारगर नहीं:ICMR
देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामलों की संख्या 55 लाख पार कर गई है। अब तक 88 हजार से ज्यादा लोगों की जान इस वायरस की वजह से जा चुकी है। वैसे तो देश में 3 कंपनियां वैक्सीन विकसित करने में जुटी हैं। 3 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के अलग-अलग स्टेज पर भी हैं, लेकिन अभी तक कुछ साफ नहीं हो पाया है कि कोरोना की वैक्सीन लोगों को कब तक मिलेगी। इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डायरेक्टर डॉ। बलराम भार्गव (Balram Bhargava) का कहना है कि कोरोना से संक्रमित सांस के रोगियों पर कोई भी वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) 100 फीसदी कारगर नहीं हो सकती। हालांकि, भार्गव ने ये भी कहा कि ऐसे मरीजों के लिए वैक्सीन को अधिकतम कारगर बनाने की पूरी कोशिश की जाएगी।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डायरेक्टर डॉ। बलराम भार्गव (Balram Bhargava) के मुताबिक, 'कोई भी वैक्सीन कोरोना वायरस से संक्रमित सांस के रोगियों को 100 फीसदी सुरक्षित नहीं कर सकती। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक बयान में कहा था कि किसी भी वैक्सीन में तीन चीजें होनी चाहिए- सुरक्षा, इम्यूनिटी बढ़ाने की क्षमता और उसका कारगर होना। इसलिए मैं बता दूं कि ऐसे लोग जो सांस की बीमारियों (Respiratory Diseases) से जूझ रहे हैं, उनके लिए वैक्सीन पूरी तरह से काम नहीं कर पाएगी।'
भार्गव ने कहा, 'हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये भी कहा है कि 50 फीसदी कारगर होने पर भी वैक्सीन को स्वीकार किया जा सकता है। वैसे हम 100 फीसदी का टारगेट लेकर चल रहे हैं। लेकिन ये 50 से 100 परसेंट के बीच ही रहेगा।'
भारत में 3 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज मेंआईसीएमआर (ICMR) के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कैडिला (Cadila) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने फेज-1 ट्रायल पूरा कर लिया है। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) ने फेज-2 B3 ट्रायल को पूरा कर लिया है। जल्द ही मंजूरी मिलने के बाद तीसरे फेज का काम शुरू किया जाएगा। जिसके लिए 14 स्थानों पर 1500 रोगियों पर इसका टेस्ट किया जाएगा।
गणितिय मॉडल सिर्फ अलर्ट होने के लिएडॉ। बलराम ने एक इंटरव्यू में कहा, कोई भी गणितिय मॉडल यह नहीं बता सकता कि कोरोना के फैलने के लिए कौन-कौन से फैक्टर जिम्मेदार हैं। ऐसे मॉडल से सिर्फ ये आइडिया दिया जा सकता है कि देश के लिए सबसे अच्छी और बुरी स्थिति क्या हो सकती है, ताकि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की तैयारी रखी जा सके।डॉ। बलराम भार्गव ने कहा, 'कोरोना कैसे फैला अब तक कोई भी मॉडल इसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाया है। देश को सिर्फ महामारी से बचाव के तरीकों पर फोकस करने की जरूरत है। जांच, वायरस की ट्रैकिंग और इलाज ही महामारी को रोकने का बेसिक बचाव है।'
देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं हैडॉक्टर भार्गव ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 100 वर्षों से अधिक समय से किसी न किसी रूप में किया जाता है। इसका उपयोग COVID 19 में किया जा रहा है। यह मदद करता है या नहीं इसका अध्ययन किया जा रहा है। आज ऑक्सीजन के उत्पादन की क्षमता 6,900 मीट्रिक टन से अधिक है।
भारत में 3 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज मेंआईसीएमआर (ICMR) के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कैडिला (Cadila) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने फेज-1 ट्रायल पूरा कर लिया है। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) ने फेज-2 B3 ट्रायल को पूरा कर लिया है। जल्द ही मंजूरी मिलने के बाद तीसरे फेज का काम शुरू किया जाएगा। जिसके लिए 14 स्थानों पर 1500 रोगियों पर इसका टेस्ट किया जाएगा।
गणितिय मॉडल सिर्फ अलर्ट होने के लिएडॉ। बलराम ने एक इंटरव्यू में कहा, कोई भी गणितिय मॉडल यह नहीं बता सकता कि कोरोना के फैलने के लिए कौन-कौन से फैक्टर जिम्मेदार हैं। ऐसे मॉडल से सिर्फ ये आइडिया दिया जा सकता है कि देश के लिए सबसे अच्छी और बुरी स्थिति क्या हो सकती है, ताकि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की तैयारी रखी जा सके।डॉ। बलराम भार्गव ने कहा, 'कोरोना कैसे फैला अब तक कोई भी मॉडल इसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाया है। देश को सिर्फ महामारी से बचाव के तरीकों पर फोकस करने की जरूरत है। जांच, वायरस की ट्रैकिंग और इलाज ही महामारी को रोकने का बेसिक बचाव है।'
देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं हैडॉक्टर भार्गव ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 100 वर्षों से अधिक समय से किसी न किसी रूप में किया जाता है। इसका उपयोग COVID 19 में किया जा रहा है। यह मदद करता है या नहीं इसका अध्ययन किया जा रहा है। आज ऑक्सीजन के उत्पादन की क्षमता 6,900 मीट्रिक टन से अधिक है।