काशी के इस चमत्कारिक मंदिर में मिलती है गंभीर बीमारी और अन्य संकटों से मुक्ति, अकाल मृत्यु से बचाव के लिए होता है जप

By Tatkaal Khabar / 27-08-2021 12:57:22 pm | 23044 Views | 0 Comments
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वाराणसी। सावन मास स्वयं महादेव को अतिशय प्रिय है। सावन मास में महादेव की आराधना से सभी मनोकामना पूरी होने के साथ गंभीर बीमारी और अन्य संकटों से मुक्ति मिलती है। रोग व्याधि और अकाल मृत्यु से बचने के लिए काशी में श्रद्धालु शिव के महामृत्युंजय स्वरूप की आराधना करते है।

मान्यता है कि महामृत्युंजय स्वरूप का आखों से दर्शन और शब्द का उच्चारण कानों में सुनाई भर दे तो गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति भी रोग सैया से उठ बैठता है। महादेव का ये स्वरूप अकाल मृत्यु से अपने भक्तों को बचाता है। बनारस में महामृत्युजंय मंदिर दारानगर मोहल्ले में स्थित है। यहां महादेव का पावन विग्रह स्वंभू है। 

मंदिर के महंत पं. सोमनाथ दीक्षित का कहना है कि विग्रह को मंदिर में किसी ने नही स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि शिवभक्त मंदिर में 40 सोमवार को लगातार हाजिरी लगाये तो उनकी सभी मनोकामना पूर्ति होती है। मंदिर के अंदर धनवंतरी कूप भी है। इस कूप का पानी पीने से पेट की बीमारियों से मुक्ति मिलती है, ऐसा लोगों में विश्वास है। इस कूप में भगवान धनवंतरी ने खुद जड़ी बूटियां डाली थी। 


पं.सोमनाथ बताते है कि मंदिर में महाकालेश्वर भी विराजमान है। मंदिर परिसर में स्वयं गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी का मंदिर स्थापित किया था। परिसर में नागेश्वर महादेव का भी विग्रह मौजूद हैं। मंदिर परिसर के यज्ञशाला में महामृत्यंजय जप साधना भी होता है। यहां वैदिक ब्राम्हण लोगों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए महामृत्युंजय जप करते है।

महामृत्युंजय मंत्र को लेकर पौराणिक कथा है। शिव भक्त ऋषि मृकण्डु ने संतान प्राप्ति के लिए महादेव की कठोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने ऋषि मृकण्डु को इच्छानुसार संतान प्राप्त होने का वर दिया । वर देने के बाद महादेव ने ऋषि मृकण्डु को बताया कि यह पुत्र अल्पायु होगा। यह सुनते ही ऋषि मृकण्डु विषाद से घिर गए। कुछ समय बाद ऋषि मृकण्डु को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ऋषि मृकण्डु को पता चला कि उनके संतान की उम्र केवल 16 साल ही होगी। ऋषि को दुखी देख उनकी पत्नी ने विषाद का कारण पूछा तो ऋषि ने बताया कि पुत्र की उम्र महज 16 साल ही है। इस पर ऋषि पत्नी ने कहा कि चिंता क्यों करते है। महादेव की लम्बी उम्र के लिए कृपा होगीं। ऋषि ने अपने पुत्र का नाम मार्कण्डेय रखा और उन्हें शिव मंत्र दिया।