Putrada Ekdashi 2022: पुत्रदा एकादशी व्रत आज, जानिए कथा
आज है पुत्रदा एकादशी, इस एकादशी का व्रत करने से नि:संतान दंपतियों को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही इससे संतान की आयु और आरोग्यता में भी वृद्धि होती है। आज के दिन भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन कर उनसे उत्तम संतान की प्रार्थना की जाती है। यह व्रत उन दंपतियों को भी करना चाहिए जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा हो। जिनकी कुंडली में किसी ग्रह दोष के कारण संतान सुख नहीं मिल रहा हो वे भी यह व्रत जरूर करें। यह व्रत उन दंपतियों को भी करना चाहिए जिनकी संतानें गलत रास्ते पर चली गई हैं और उनका कहना नहीं मानती।
पुत्रदा एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर दैनिक कार्यो से निवृत्त होकर सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देकर पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करें। पूजा स्थान में एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति का चित्र रखकर एकादशी व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजन करें। भगवान को पीले पुष्प अर्पित करें। नैवेद्य लगाएं। गाय के शुद्ध घी और गोछाछ का भोग भी लगाएं। इसके बाद पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। पूरे दिन निराहार रहें। क्षमता न हो तो फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। इस दिन गोछाछ का सेवन करना चाहिए। द्वादशी के दिन प्रात: व्रत का पारण करें। ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें और फिर स्वयं भोजन करें। संतान सुख की कामना से व्रती दंपती को इस एकादशी के दिन संतानगोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ धन संपत्ति सुख प्रदान करता है।
मुख्य पुण्यकाल पुत्रदा एकादशी व्रत कथा किसी समय भद्रावती नगरी में राजा सुकेतु राज करता था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। उनकी कोई संतान नहीं थी, इससे राजा-रानी बहुत दुखी रहते थे। एक दिन राजा-रानी ने अपना सारा राज्य मंत्री को सौंपा और स्वयं वन मेंे चले गए। एक दिन वन में उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिए। वे स्वर की दिशा में बढ़ते चले गए। उन्होंने देखा किअनेक ऋषि नदी के किनारे यज्ञ कर रहे थे। राजा-रानी ने ऋषियों को प्रणाम किया। ऋषियों ने दंपती के मन की पीड़ा जान ली और उन्हें पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का आदेश दिया। राज दंपती ने विधि विधान से व्रत किया और उन्हें व्रत के प्रभाव से एक पुत्री और एक पुत्र संतान की प्राप्ति हुई।