माता पिता को सिर्फ ऐसे करना चाहिए गुस्‍सैल बच्‍चे को शांत, वरना उल्‍टी पड़ सकती है बात

By Tatkaal Khabar / 18-07-2022 03:58:26 am | 11885 Views | 0 Comments
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बच्‍चों का मन बहुत नाजुक होता है और वो किसी भी बात को बड़ी आसानी से दिल पर लगा लेते हैं। बचपन में कोई हादसा हुआ हो या किसी की बात से मन पर चोट लग गई हो, बच्‍चे ऐसी चीजों को अपने मन में ही छिपाए रखते हैं और इसका बुरा असर उनके मानसिक, भावनात्‍मक और शारीरिक विकास पर पड़ता है।


चाइल्‍ड साइकोलॉजी से बच्‍चों के मन में क्‍या चल रहा है, यह जानने में मदद मिलती है। यह बच्‍चों के बिहेवियर को समझने पर फोकस करता है और इसमें उनकी भावनाओं और मानसिक एवं शारीरिक विकास को प्रभावित कर रही चीजों एवं कारकों पर ध्‍यान दिया जाता है।


पत्रिका में प्रकाशित एक आर्टिकल में स्‍पीकिंग ट्री, चाइल्‍ड साइकोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर मनप्रीत कौर ने आजकल बच्‍चों में बढ़ रहे गुस्‍से और आक्रामक रवैये के बारे में काफी कुछ बताया है। उन्‍होंने कहा कि अपनी भावनाओं या फीलिंग्‍स को जाहिर करने का गुस्‍सा सबसे आम तरीका है और बच्‍चे भी ऐसा करते हैं और पैरेंट्स को बच्‍चे के चिड़चिड़ेपन के पीछे छिपे कारण का पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके आगे डॉक्‍टर ने कहा कि बच्‍चों में गुस्‍से के कारण को समझने और उसे कंट्रोल करने के लिए एनवायरमेंट भी अहम भूमिका निभाता है।

पैरेंट्स को खुद को और अपने पैरेंटिंग स्‍टाइल को समझना चाहिए।
​बच्‍चे की मानसिकता पर सोसायटी का असर

डॉक्‍टर ने बताया कि बच्‍चे अपने आसपास की चीजों को बहुत बारीकी से ऑब्‍जर्व करते हैं और उन्‍हें अपने बिहेवियर में अपनाते हैं। वो अपने पैरेंट्स, दोस्‍तों या टीवी या सोशल मीडिया पर दिखने वाली चीजों को एडॉप्‍ट करते हैं। डॉक्‍टर कहतर हैं कि बच्‍चे के संपूर्ण विकास के लिए पैरेंट्स जिम्‍मेदार होते हैं और उन्‍हें बच्‍चे के आसपास के माहौल पर पैनी नजर रखनी चाहिए।

​बच्‍चे के साथ बॉन्डिंग


डॉक्‍टर कौर ने कहा कि बच्‍चों को समझने के लिए उनसे कनेक्‍ट करें। बात करने से बच्‍चों के मन में क्‍या चल रहा है, यह जाना जा सकता है। वहीं बच्‍चों को गलत डिमांड को भी पूरा करने से बचें।

​बच्‍चा गुस्‍सा दिखाए तो

कई बार बच्‍चे अपनी बात मनवाने के लिए या डिमांड पूरी करवाने के लिए गुस्‍सा दिखाने लगते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को समझना होगा कि बच्‍चा सही डिमांड कर रहा है या नहीं। बच्‍चे को ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज से गुस्‍सा शांत करने की टेक्निक सिखाएं। उसे बताएं कि गुस्‍सा खुद उसकी सेहत का दुश्‍मन है।

​क्‍या गुस्‍सा जेनेटिक है

डॉक्टर ने कहा कि आपके बच्चे के अवचेतन मस्तिष्क में गुस्‍सा आनुवांशिकी हो सकता है, हालांकि अगर आपने अपने गुस्‍से को कंट्रोल करना सीख लिया है, तो आपके आक्रामक होने का ज्‍यादा असर बच्‍चे पर नहीं पड़ेगा।

​क्‍या करें

साइकोलॉजिस्‍ट की राय के अनुसार बच्‍चों का ध्‍यान भटकाने के लिए आप खिलौनों की मदद ले सकते हैं। इसमें सॉफ्ट बॉल, फिजेट स्पिनर मदद कर सकते हैं। आपको बच्‍चे को जिंदगी के इस शुरुआती पड़ाव पर ही अपने गुस्‍से को कंट्रोल करना सिखा देना चाहिए। कुछ देर बच्‍चे को अकेला छोड़ दें। इससे भी थोड़ी देर में बच्‍चा रिलैक्‍स हो जाता है।