देश में जानलेवा हुआ H3N2 वायरस, दो लोगों की मौत से मचा हड़कंप

By Tatkaal Khabar / 10-03-2023 01:44:46 am | 6133 Views | 0 Comments
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खतरनाक H3N2 इन्फ्लूएंजा अब जानलेवा होता जा रहा है. इस वायरस के चलते देश में अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है. आधिकारिक सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी है. सूत्रों के मुताबिक, इनमें से एक मौत कर्नाटक में हुई है तो दूसरी हरियाणा में. वहीं भारत में H3N2 इन्फ्लुएंजा के अब तक कुल 90 मामले सामने आ चुके हैं. जबकि H1N1 के के देशभर में 8 मामले दर्ज किए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, भारत ने फिलहाल आबादी में घूम रहे इन दो तरह के इन्फ्लुएंजा वायरस का पता चला है.

वहीं इस वायरस से हुई मौतों के बाद लोगों में दहशत न फैले इसके लिए कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कहा है कि राज्य में इन्फ्लुएंजा A H3N2 वेरिएंट वायरस के संक्रमण से घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को सावधानी बरतने के लिए जल्द ही दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. इसके साथ ही सभी अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनने का निर्देश देते हुए आदेश जारी किया जाएगा.

भीड़-भाड़ वाली जगह से बच कर रहें लोग

वहीं चिकित्सा संघ ने इस वायरस के प्रकोप को देखते हुए लोगों से भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने, अच्छे से हाथ धोने और श्वसन स्वच्छता प्रथाओं के साथ-साथ फ्लू के टीकाकरण की सलाह दी है. एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर हर्षल आर. साल्वे ने कहा है कि फ्लू वायरस का प्रकोप जलवायु परिस्थितियों के चलते बढ़ रहा है.

बता दें कि कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने बीती 6 मार्च को कहा था कि राज्य में 26 लोगों के H3N2 टेस्ट पॉजिटिव आए हैं और इनमें से दो मामले बेंगलुरु से हैं. उन्होंने कहा था कि 15 साल से कम उम्र के बच्चों को H3N2 वेरिएंट से ज्यादा खतरा है और यह वेरिएंट 60 साल से ऊपर के लोगों को भी संक्रमित कर सकता है.

‘इंफ्लुएंजा ए’ का सब-वेरिएंट H3N2 बन रहा खांसी और बुखार की वजह 

बता देें कि इस महीने की शुरुआत में ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञों ने बताया था कि देश में पिछले दो-तीन महीने से लगातार खांसी और किसी-किसी मामले में बुखार के साथ खांसी होने की वजह ‘इन्फ्लुएंजा ए’ का उपस्वरूप ‘एच3एन2’ है. आईसीएमआर के वैज्ञानिकों के मुताबिक, पिछले दो-तीन महीने से व्यापक रूप से फैले एच3एन2 अन्य उपस्वरूपों की तुलना में रोगी के अस्पताल में भर्ती होने का बड़ा कारण बन रहा है.