प्रेगनेंसी में इन संकेतों से पता चलता है शिशु का स्वास्थ्य
प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपनी सेहत और डाइट का खास-ख्याल रखना पड़ता है। ऐसे समय में छोटी-सी गलती भी मां-शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। नवजात शिशु वातावरण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। मौसम और आसपास का वातावरण उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। बच्चे के जन्म के बाद उनके विकास के शुरूआती सालों में उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे संकेतों के बारे में बताते हैं जिनसे आप गर्भ में बच्चे के स्वास्थ्य का पता लगा सकते हैं। अक्सर शरीर में होने वाले बदलावों को प्रेग्नेंसी लक्षण समझ कर महिलाएं इग्नोर कर देती हैं लेकिन यह बच्चे के स्वस्थ या अस्वस्थ होने के संकेत भी हो सकते है। आज हम आपको ऐसे लक्षण बताने जा रहें है जिससे आप गर्भ में पल रहें बच्चे के स्वस्थ या अस्वस्थ होने के बारे में जान सकती है।
प्रेगनेंसी 8 वें महीने में बच्चे की दिल धड़कना शुरू हो जाता है, जिसे डॉप्लर टेस्ट से पता लगाया जा सकता है। अगर दूसरी बार टेस्ट करवाने पर धड़कन का पता न चले तो ये भ्रूण के तनाव और कठिनाई में होने के संकेत हो सकते हैं।
– महिलाओं के शरीर में ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन नामक हार्मोन होता है जो गर्भावस्था के शुरूआत में फर्टिलाइजेशन के बाद अंडे को पोषण देने का काम करता है जिससे अंडा विकसित होता है। एचसीजी का स्तर 5 एमआईयू/एमएल से कम होने पर गर्भपात या एक्टोपिक प्रेगनेंसी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
– पेट के बढ़ने से गर्भाशय का पता चलता है। जब भ्रूण बढ़ता है तब गर्भाशय बड़ा होने लगता है लेकिन अगर गर्भाशय का आकार बड़ा नहीं हो रहा है तो यह गर्भाशय में भ्रूण के खराब होने के संकेत हो सकते हैं।