OPS vs NPS vs UPS / तीनों को जानिए, कितना फायदा या नुकसान
OPS vs NPS vs UPS : केंद्र सरकार ने हाल ही में न्यू पेंशन स्कीम (NPS) की जगह यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लागू करने का निर्णय लिया है। सरकार का कहना है कि UPS को अगले साल 1 अप्रैल से प्रभावी कर दिया जाएगा, जिससे लगभग 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। इस स्कीम का उद्देश्य कर्मचारियों को अधिक सुनिश्चित और लाभकारी पेंशन प्रणाली प्रदान करना है। हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कर्मचारियों को UPS और NPS में से किसी एक को चुनने का विकल्प रहेगा। इस लेख में, हम UPS, NPS और पुरानी पेंशन योजना (OPS) के बीच अंतर और कर्मचारियों को मिलने वाले फायदों की विस्तार से चर्चा करेंगे।
UPS स्कीम के लाभ
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, UPS से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ होगा। यदि राज्य सरकारें भी इस योजना में शामिल होती हैं, तो लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 90 लाख हो जाएगी। इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके तहत 2004 से रिटायर हुए कर्मचारियों को एरियर भी दिया जाएगा।
UPS के तहत, कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन मिलेगी, जिसमें रिटायरमेंट के समय के पिछले 12 महीनों के औसत बेसिक वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। इस लाभ को पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 25 वर्षों तक नौकरी करनी होगी। यदि किसी कर्मचारी की नौकरी 25 वर्षों से कम और 10 वर्षों से अधिक है, तो उसे पेंशन का अनुपातिक लाभ कम मिलेगा।
मृत्यु के बाद पत्नी या पति को मिलेगा 60% भुगतान
UPS योजना के तहत, रिटायर कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार, अर्थात् पत्नी या पति, को फैमिली पेंशन के रूप में कुल पेंशन का 60% हिस्सा दिया जाएगा। यह पेंशन उस समय निर्धारित पेंशन के आधार पर दी जाएगी जब कर्मचारी की मृत्यु होती है।
न्यूनतम पेंशन का प्रावधान
UPS के अंतर्गत, केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए न्यूनतम पेंशन का भी प्रावधान किया है। यदि किसी कर्मचारी ने 10 वर्ष की नौकरी पूरी की है, तो उसे 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी। इसके अलावा, सरकार डीए के बजाय डीआर देगी, और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर पेंशन का डीआर मूल्यांकन किया जाएगा।
न्यू पेंशन स्कीम (NPS) क्या है?
न्यू पेंशन स्कीम (NPS) की बात करें तो इसमें सुनिश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। NPS के तहत, कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डीए का 10% हिस्सा कटता है। इस योजना का प्रदर्शन शेयर मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, जिससे इसे सुरक्षित नहीं माना जाता। रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए कर्मचारियों को अपने NPS फंड का 40% हिस्सा निवेश करना होता है। इसके अलावा, इस योजना में छह महीने बाद मिलने वाले डीए और महंगाई भत्ता देने का भी कोई प्रावधान नहीं है। कई कर्मचारी संगठन इस योजना के प्रति असंतुष्ट हैं, क्योंकि सरकार मूल वेतन का केवल 10% योगदान करती है।
UPS में NPS वाले कर्मचारी भी हो सकते हैं शामिल
सरकार ने यह भी बताया है कि जिन्होंने पहले से NPS को स्वीकार किया है, वे भी UPS योजना में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इन कर्मचारियों को एक स्कीम से दूसरी स्कीम में स्विच करने का विकल्प केवल एक बार मिलेगा।
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) क्या थी?
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) के तहत, सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती थी, जबकि इस दौरान कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती थी। इसके अतिरिक्त, OPS में जनरल प्रोविडेंट फंड का भी प्रावधान था, और छह महीने बाद मिलने वाले महंगाई भत्ते (डीए) का प्रावधान भी था। अगर किसी रिटायर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती थी, तो उसके परिजनों को पेंशन की राशि दी जाती थी। इसके अलावा, OPS के तहत कर्मचारियों को ग्रेच्युटी की रकम 20 लाख रुपये मिलती थी।
UPS, NPS और OPS के बीच तुलना
1. सुनिश्चित पेंशन:
UPS में सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है, जबकि NPS में पेंशन की कोई गारंटी नहीं होती। OPS में पेंशन की राशि कर्मचारी के वेतन का 50% होती थी।
2. योगदान:
NPS में कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डीए का 10% हिस्सा कटता है, जबकि UPS और OPS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
3. शेयर मार्केट पर निर्भरता:
NPS का प्रदर्शन शेयर मार्केट पर निर्भर करता है, जिससे पेंशन की राशि में अनिश्चितता होती है। UPS और OPS में इस तरह की कोई निर्भरता नहीं है।
4. एरियर:
UPS में 2004 से रिटायर हुए कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा, जबकि NPS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। OPS में भी एरियर का प्रावधान नहीं था।
5. फैमिली पेंशन:
UPS में रिटायर कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी या पति को 60% पेंशन का प्रावधान है, जबकि NPS में फैमिली पेंशन का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। OPS में भी फैमिली पेंशन का प्रावधान था।