Akhilesh Yadav News / प्रतिबंध लगाना सरकार की नाकामी, संभल नहीं जाने देने पर अखिलेश यादव भड़के

By Tatkaal Khabar / 30-11-2024 02:03:51 am | 656 Views | 0 Comments
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Akhilesh Yadav News: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर कड़ा हमला किया है, जब सपा का एक प्रतिनिधिमंडल संभल जाने से रोक दिया गया। अखिलेश यादव ने कहा कि यह कदम योगी सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी को दर्शाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर भाजपा सरकार उन लोगों पर पहले ही प्रतिबंध लगा देती, जिन्होंने दंगे और नफरत फैलाने की कोशिश की थी, तो संभल में शांति और सौहार्द का वातावरण बिगड़ने से बचा जा सकता था।
भाजपा सरकार की नाकामी पर तंज़
अखिलेश यादव ने आगे कहा, "अगर बीजेपी की सरकार को पूरा मंत्रिमंडल बदलने में कोई दिक्कत नहीं है, तो उन्हें संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक के प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि उन अधिकारियों पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए और यदि कोई व्यक्ति मारे गए लोगों की जिम्मेदारी में था, तो उसके खिलाफ मुकदमा भी चलाया जाना चाहिए। अखिलेश ने यह भी कहा कि बीजेपी इस मुद्दे में पूरी तरह से विफल हो चुकी है और राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में नाकाम रही है।
सपा डेलिगेशन को रोकने का मामला
अखिलेश यादव के आरोप के बाद, सपा के एक प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोका गया। इस डेलिगेशन की अगुवाई पार्टी नेता माता प्रसाद कर रहे थे। सपा प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोकते हुए पुलिस ने वहां धारा 163 लागू कर दी, जबकि डीएम ने भी सपा नेताओं को जाने की अनुमति नहीं दी। पुलिस ने माता प्रसाद की गाड़ी के आगे और पीछे अपनी गाड़ियाँ लगा दी, जिससे रास्ता पूरी तरह से ब्लॉक हो गया। इसके बावजूद, सपा के नेता वहां जाने की जिद पर अड़े रहे।
माता प्रसाद पांडे ने इस घटना के बाद अखिलेश यादव से फोन पर बात की और उन्हें बताया कि वह पार्टी दफ्तर जाना चाहते हैं, लेकिन पुलिस उन्हें रोक रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मीडिया को संभल जाने की अनुमति है, तो उन्हें क्यों नहीं?
24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा
यह विवाद उस हिंसा के बाद उभरा, जो 24 नवंबर को संभल में भड़की थी। दरअसल, 19 नवंबर को जामा मस्जिद का एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसके बाद वहां तनाव की स्थिति बन गई। अदालत ने आदेश दिया था कि मस्जिद के स्थान पर पहले कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था, और इसी आधार पर 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण किया गया। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गए थे।
राजनीति में तूल पकड़ा मुद्दा
संभल में हुई हिंसा और सपा डेलिगेशन के रोके जाने का मामला अब राजनीति में तूल पकड़ता जा रहा है। अखिलेश यादव और सपा नेतृत्व के आरोपों के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या योगी सरकार राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम है। वहीं, समाजवादी पार्टी अपने इस आंदोलन के जरिए भाजपा सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और हिंसा के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलवाने का रास्ता साफ हो सके।
संभल में हो रही घटनाओं पर सपा का ध्यान केंद्रित होना, और पार्टी की ओर से योगी सरकार पर लगातार उठाए जा रहे सवाल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में अगले कुछ दिनों तक चर्चा का विषय बने रहेंगे।