सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश : मंदिर-मस्जिद विवादों पर अदालतें कोई आदेश न दें

By Tatkaal Khabar / 12-12-2024 03:36:41 am | 220 Views | 0 Comments
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मंदिर-मस्जिद विवादों से संबंधित मामलों में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि अदालतों को इस तरह के विवादों पर कोई आदेश नहीं देना चाहिए और न ही मस्जिदों और दरगाहों के सर्वे का आदेश जारी करना चाहिए। यह आदेश तब आया जब कोर्ट 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों) 1991' की कुछ धाराओं की वैधता पर सुनवाई कर रहा था।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जेम्स यादव शामिल थे, ने यह निर्देश दिया कि जब तक केंद्र सरकार इस मामले पर अपना पक्ष नहीं रखती, तब तक इस विषय पर कोई नया केस दाखिल नहीं किया जाए। कोर्ट ने कहा, "हम इस कानून की वैधता, शक्तियों और ढांचे की जांच कर रहे हैं, इस लिए अन्य अदालतें इस पर कोई आदेश न दें।"
मथुरा और वाराणसी विवाद पर सुनवाई

सुनवाई के दौरान, सीजेआई संजीव खन्ना ने बताया कि उनके सामने दो महत्वपूर्ण मामले हैं: मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद। इस दौरान अदालत को यह जानकारी दी गई कि देश में ऐसे 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं, जिनमें से 10 मस्जिदों से संबंधित हैं। इन मामलों में कोई नया आदेश न देने का निर्देश भी दिया गया, ताकि इन विवादों में और अधिक जटिलता न आए।
केंद्र से जवाब तलब

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर चार हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक केंद्र सरकार जवाब नहीं देती, तब तक वह इस मामले में कोई सुनवाई नहीं कर सकेगी। इस आदेश के बाद केंद्र को अब इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिलेगा।
अन्य पार्टियों की याचिका

इस एक्ट के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने याचिकाएं दाखिल की हैं। इनमें CPI-M, इंडियन मुस्लिम लीग, NCP के शरद पवार, राजद के सांसद मनोज कुमार झा सहित छह प्रमुख दल शामिल हैं। ये दल इस एक्ट की कुछ धाराओं को असंवैधानिक मानते हुए इसके खिलाफ कोर्ट में गए हैं।