योगी सरकार ने कृषि श्रमिकों को दिया तोहफा न्यूनतम मजदूरी में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

By Tatkaal Khabar / 24-07-2025 10:23:47 am | 478 Views | 0 Comments
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लखनऊ, 24 जुलाई। योगी सरकार ने कृषि मजदूरों के हित में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए न्यूनतम मजदूरी की दरों में व्यापक संशोधन किया है। अब राज्य के सभी जिलों में कृषि कार्यों से जुड़े वयस्क श्रमिकों को ₹252 प्रतिदिन या ₹6552 प्रति माह न्यूनतम मजदूरी प्राप्त होगी। इस निर्णय से लाखों खेतिहर मजदूरों, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन जैसे कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े लोगों को वित्तीय सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन का आधार मिलेगा। प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन विभाग डॉ. एम.के. शनमुगा सुन्दरम् ने बताया कि यह दरें राज्य के हर प्रकार की खेती पर लागू होंगी, चाहे वह परंपरागत कृषि हो, मशरूम उत्पादन हो या मंडी तक फसल पहुंचाने का श्रम। इसमें दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन और इनसे जुड़ी सभी सहायक गतिविधियां भी शामिल हैं। *नकद, आंशिक नकद, कृषि उपज या डिजिटल माध्यमों से भी होगा मजदूरी का भुगतान* योगी सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि मजदूरी का भुगतान अब नकद, आंशिक नकद, कृषि उपज या डिजिटल माध्यमों से किया जा सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में मजदूरी की कुल राशि विहित दर से कम नहीं होनी चाहिए। इस कदम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी। न्यूनतम मजदूरी की प्रति घंटे दर भी दैनिक मजदूरी का 1/6 भाग से कम नहीं हो सकेगी, जिससे अल्पकालिक श्रमिकों के हितों की भी रक्षा होगी। योगी सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी श्रमिक को पहले से इस दर से अधिक मजदूरी मिल रही है, तो वह जारी रहेगी और इसे ही न्यूनतम मानक माना जाएगा। योगी सरकार का यह फैसला सिर्फ मजदूरी तय करने का नहीं, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की श्रमिक नीति में मूलभूत बदलाव का संकेत है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे लाखों श्रमिकों को सीधा लाभ मिलेगा और कृषि कार्यों में श्रम की गुणवत्ता व निरंतरता सुनिश्चित होगी। यह निर्णय योगी सरकार की "सबका साथ, सबका विकास" नीति का एक और उदाहरण है, जिसमें खेतिहर मजदूरों को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। *श्रमिकों के हितों की रक्षा करना योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि श्रमिकों के हितों की रक्षा करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इससे पहले भी सरकार ने ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से असंगठित क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों का पंजीकरण कर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा था। न्यूनतम मजदूरी की यह नई अधिसूचना उसी श्रंखला में एक और मजबूत कड़ी है। यह फैसला न केवल श्रमिक कल्याण, बल्कि कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की स्थायीत्व और उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देगा। साथ ही डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर आधुनिक और पारदर्शी प्रणाली की नींव भी रखेगा। सरकार का यह कदम स्पष्ट करता है कि उत्तर प्रदेश अब सिर्फ कृषि उत्पादक राज्य नहीं, बल्कि कृषि श्रमिकों के लिए भी कल्याणकारी प्रदेश बन चुका है।