Sawan Shivratri 2025: कब है श्रावण शिवरात्रि व्रत? जानें इसका महत्व

By Tatkaal Khabar / 17-07-2025 01:47:33 am | 185 Views | 0 Comments
#

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार श्रावण भगवान शिव का सर्वाधिक प्रिय एवं उन्हें समर्पित माह है, इसलिए इस मास की शिवरात्रि का भी विशेष महात्म्य है. इस दिन शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. भगवान शिवजी की पूजा-दर्शन, जलाभिषेक एवं अन्य अनुष्ठानों का आयोजन होता है. इस दिन अधिकांश शिव-भक्त उपवास रखते हैं, कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं, मान्यता है कि इस दिन शिव-गौरी की पूजा एवं अभिषेक आदि करने से भगवान शिव अपने भक्त से प्रसन्न होते हैं, सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस वर्ष सावन शिवरात्रि 23 जुलाई 2025, को पड़ रही है. यहां हम जानेंगे श्रावण शिवरात्रि पर निशिताकाल सहित चारों प्रहर का पूजा-मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि आदि के बारे में. 

सावन शिवरात्रि मूल तिथि एवं चारों प्रहर की पूजा का मुहूर्त


श्रावण कृष्ण पक्ष चतुर्दशी प्रारम्भः 04.39 AM (23 जुलाई 2025) से

श्रावण कृष्ण पक्ष चतुर्दशी समाप्तः 02.28 AM (24 जुलाई 2025) तक

निशिता काल पूजा समयः 12.07 AM से 12.48 AM, (24 जुलाई 2025)

प्रथम प्रहर पूजा समय: 07.17 PM से 09.53 PM बजे तक (23 जुलाई 2025)

द्वितीय प्रहर पूजा समय: 09.53 PM से 12.28 AM तक, (24 जुलाई 2025)

तृतीय प्रहर पूजा समय: 12.28 AM से 03.03 AM तक,  (24 जुलाई 2025

चतुर्थ प्रहर पूजा समय: 03.03 AM से 05.38 AM तक  (24 जुलाई 2025)

श्रावण शिवरात्रि पारण समय – 05.38 AM, 24 जुलाई 2025

सावन शिवरात्रि का महत्व

  श्रावण मास की शिवरात्रि शिव-भक्तों के लिए अत्यंत शुभ होती है. इस दिन प्रसिद्ध शिव मंदिरों में विशेष पूजा अनुष्ठान एवं दर्शन का आयोजन किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करके संपूर्ण सृष्टि को विनाश से बचाया था. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसी दिन देवी पार्वती ने भगवान शिव का हृदय जीतने के लिए भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करके व्रत किया था, और भगवान शिव उनके कठोर तप से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन भी दिया था. भगवान शिव का प्रिय माह होने के कारण ही इस माह में जहां प्रकृति खिल उठती है, वहीं आध्यात्मिक ऊर्जाएं बढ़ जाती हैं.

सावन शिवरात्रि पर पूजा अनुष्ठान

   सावन शिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा-अनुष्ठान होते हैं. इस पूरे दिन उपवास रहते हुए घर में भगवान शिव और माता पार्वती की हमेशा की तरह पूजा करें. इसके पश्चात निकटतम शिव मंदिर जाएं. यहां ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग का जल, श्वेत पुष्प चंदन, दूध, बेल पत्र, भांग, धतूरा आदि से अभिषेक करें. फल चढ़ाएं. आप पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और चीनी) से अभिषेक कर सकते हैं. ऐसा करने से  तन एवं मन शांति मिलती है, नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं.