Sharad Purnima 2020: शरद पूर्णिमा की रात घर में बनाएं खीर और करें ये काम

By Tatkaal Khabar / 29-10-2020 03:21:47 am | 29782 Views | 0 Comments
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Sharad Purnima 2020: कल यानी 30 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) है। ऐसे हर महीने आने वाली पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। लेकिन इन सभी में शरद पूर्णिमा को श्रेष्ठ माना गया है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा , 'महारास' या 'रास पूर्णिमा' (Maha Raas Leela or Raas Purnima), 'कौमुदी व्रत' (Kamudi Vrat) और 'कुमार पूर्णिमा' (Kumar Purnima) के नाम से भी जाना जाता है।मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अपनी किरणों से अमृत की बूंदे पृथ्वी पर गिराते हैं। इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि कौन रात को जग रहा है। इस कारण इसे कोजागरी पूर्णिमा (Kojagiri or Kojagara Purnima) भी कहते हैं। कोजागरी का अर्थ होता है कि कौन-कौन जाग रहा है। मान्यता के मुताबिक शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्‍मी की पूजा करने से आपको कर्ज से मुक्ति मिलती है। इस दिन खास तौर पर चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की चांदनी में रखी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अमृतवर्षा होती है, इसलिए चंद्रमा के नीचे रखी खीर खाने से कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य परेशानियां खत्म होती हैं और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे चावल का खीर रखा जाता है। इस दिन रात को खास खीर बनाकर चांद के नीचे रखे की परपंरा है। मान्यताओं की मानें तो इस खीर के कई सेहत से जुड़े फायदे होते हैं। वहीं, इसे एक खास मुहूर्त पर खुले आसमान में रखा जाता है। अगर आप भी शरद पूर्णिमा की रात खीर को बाहर रखने का सोच रही हैं तो यहां जाने सही वक्त और रखने का तरीका। शरद पूर्णिमा पर खीर को बाहर रखने का शुभ मुहूर्त और तरीका

  • 30 अक्टूबर को चांद निकलने का समय है शाम 05 बजकर 11 मिनट। इसी वक्त खीर बनाकर खुले आसमान में रखें।
  • अगर आपके पास खुले आसमान की व्यवस्था नहीं है तो खीर ऐसी जगह रखें जहां चांद की रोशनी खीर पर आए।
  • खीर को मिट्टी या चांदी के बर्तन में ही बाहर रखें।
  • साथ ही ध्यान दें कि खीर को सुरक्षित स्थान पर रखें, इसे कोई जानवर झूठा ना कर सके।
  • खीर रात 12 बजने के बाद उठा लें और फिर प्रसाद के तौर पर खीर को बांटें और खाएं।
चंद्रमा की किरणें जब पेड़ पौधों और वनस्पतियों पर पड़ती हैं तो उनमे भी अमृत्व का संचार हो जाता है। इसीलिए इस दिन खीर बना कर खुले आसमान के नीचे मध्य रात्रि में रखने का विधान है। रात में चन्द्र कि किरणों से जो अमृत वर्षा होती है, उसके फल स्वरुप वह खीर भी अमृत सामान हो जाती है। उसमें चंद्रमा से जनित दोष शांति और आरोग्य प्रदान करने क्षमता स्वतः आ जाती है। यह प्रसाद ग्रहण करने से प्राणी मानसिक कष्टों से मुक्ति पा लेता है। यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी स्वर्गलोग से धरती पर आती हैं और वे घर-घर जाकर सबको वरदान देती हैं, किन्तु जो लोग दरवाजा बंद करके सो रहे होते हैं, वहां से लक्ष्मी जी दरवाजे से ही वापस चली जाती है। तभी शास्त्रों में इस पूर्णिमा को जागर व्रत, यानी कौन जाग रहा है व्रत भी कहते हैं। इस दिन की लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती हैं। अतः शरदपूर्णिमा को कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण शरद पूर्णिमा की तिथि पर ही वृंदावन में सभी गोपियों संग महारास रचाया था। इस वजह भी शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा के दिन मथुरा और वृंदावन सहित देश के कई कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं।