पाकिस्तान के खिलाफ तालिबान ने तैनात किए सैनिक, क्या छिड़ेगी जंग? एयरस्ट्राइक के बाद बढ़ा तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव ने क्षेत्रीय स्थिरता को हिला दिया है. मंगलवार रात, पाकिस्तान वायु सेना ने अफगानिस्तान में घातक हवाई हमले किए, जिसका उद्देश्य कथित तौर पर आतंकवादी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों को नष्ट करना था. हालांकि, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इन हमलों में नागरिकों के मारे जाने का दावा करते हुए कड़ी नाराज़गी जताई है.
तालिबान का पलटवार करने का ऐलान
अफगानिस्तान की सरकार ने पाकिस्तान के इन हमलों को गंभीरता से लिया है. अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के हमलों को अनदेखा नहीं किया जाएगा, और इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा."
तालिबान ने सीमा के पास भारी हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है. काबुल फ्रंटलाइन रिपोर्ट के अनुसार, सीमा पर टैंकों और एंटी-एयरक्राफ्ट हथियारों की तैनाती की गई है. यह स्थिति दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा कर रही है.
क्या है तनाव की वजह?
पाकिस्तान और टीटीपी के बीच लंबे समय से चल रहा संघर्ष हाल के दिनों में और गहराया है. टीटीपी ने पाकिस्तान में कई हमलों की ज़िम्मेदारी ली है, जिससे पाकिस्तान के सुरक्षा बलों पर दबाव बढ़ गया है. पाकिस्तान का दावा है कि टीटीपी को अफगानिस्तान में शरण मिल रही है, जबकि तालिबान सरकार इसे नकारती है.
पाकिस्तानी वायु सेना के हमलों के बाद, अफगानिस्तान के नागरिकों की मौत के दावे ने तालिबान को आक्रामक रुख अपनाने के लिए मजबूर किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान का पलटवार पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
पाकिस्तान की राजनीति पर असर
इन हालातों ने प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है. पहले से ही आर्थिक और आंतरिक सुरक्षा संकट का सामना कर रही सरकार अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान के साथ बढ़ते तनाव का सामना कर रही है. अगर पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव बढ़ता है, तो यह पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है. तालिबान का पलटवार पाकिस्तान के लिए न केवल सीमा सुरक्षा बल्कि आंतरिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है.