Rajesh Khanna: 3 साल में 17 हिट फिल्मों के बाद राजेश खन्ना का बुरा दौर हुआ शुरू, जब उनके करियर पर लग गया था ग्रहण
हिंदी सिनेमा जगत को जहां 1940 के दशक में दिलीप कुमार देव आनंद आदि जैसे कलाकर मिल गए थे। वहीं साल 1942 को राजेश खन्ना(Rajesh Khanna) उर्फ जतिन खन्ना का जन्म हुआ। उनका असली नाम जतिन था। किसे पता था कि ये बच्चा आने वाले समय में बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार होगा और राजेश खन्ना के नाम से जाना जाएगा। ऐसे में आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर हम आपको उनके करियर का वो किस्सा बताने जा रहे है जब सुपरस्टार कहे जाने वाले अभिनेता के करियर में ग्रहण लग गया था।
राजेश के करियर का बुरा दौर (Rajesh Khanna Career)
29 दिसंबर साल 1942 में अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके फिल्म में निभाए गए किरदार आज भी लोगों के दिल में जिंदा है। वो भारत के इकलौते एक्टर है जिन्होंने लगातार 17 सोलो हिट फिल्में दी थीं। हालांकि उसके बाद उन्होंने लगातार सात फ्लॉप फिल्में भी दी। जिससे उनके करियर में ग्रहण लग गया।
बैक टू बैक हिट फिल्मों का सिलसिला
जहां एक और नया दशक(1970) शुरू हो रहा था। तो वहीं दूसरी तरफ राजेश खन्ना अपने हुनर का जादू बिखेर रहे थे। साल 1966 में आखिरी खत(Aakhri Khat) से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। करियर की शुरुआती सालों में ही उन्होंने बैक टू बैक हिट फिल्में दी। जिससे ये तो साबित हो गया कि उनमें टेलेंट कूट-कूट कर भरा है।
3 साल में 17 हिट फिल्में
राजेश खन्ना को सुपरस्टार का टैग उनकी 17 हिट फिल्मों की वजह से ही दिया गया था। साल 1969 से लेकर 1972 के बीच उन्होंने 17 सुपरहिट फिल्में दी। जिससे हिंदी सिनेमा में एक नई क्रांति आ गई। इस फिल्मों के सफल होने की शुरुआत आराधना फिल्म से हुई। जिसके बाद इत्तेफाक, दो रास्ते, खामोशी, बंधन, डोली, आन मिलो सजना, सफर, सच्चा झूठा, द ट्रेन, अंदाज, कटी पतंग, मेहबूब की मेंहदी, दुश्मन, हाथी मेरे साथी, अमर प्रेम और खामोशी शामिल है। इन फिल्मों के चलते वो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार बने।
फ्लॉप फिल्मों ने करियर पर लगाया ग्रहण
लेकिन वो कहते है ना कामयाबी जितनी जल्दी मिलती है। ठीक उसी तरह असफलता भी आपके पास आने को तैयार रहती है। ऐसा ही कुछ सुपरस्टार के साथ भी हुआ। साल 1976 में उनकी फिल्म महबूबा फ्लॉप साबित हुई। जिसके बाद मानों फ्लॉप फिल्मों की झड़ी ही लग गई हो। दो साल के अंदर उनकी सात फिल्में बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई। जिसमें साल 1976 में महबूबा और बंडल बाज और साल 1977 में अनुरोध, त्याग, कर्म, छैला बाबू, चलता पुर्जा आदि भी फ्लॉप साबित हुई।
डिप्रेशन में चले गए थे अभिनेता
लगातार बैक-टू-बैक सात फिल्मों के फ्लॉप होने की वजह से सुपरस्टार राजेश खन्ना के करियर में ग्रहण लग गया। ये दो साल उनके एक्टिंग करियर के सबसे बुरे साल रहे।
बता दें कि फिल्म इंडस्ट्री में राजेश खन्ना को काका के नाम से ही बुलाया जाता था। फिल्में फ्लॉप होने की वजह से अभिनेता डिप्रेशन में चले गए थे। इस बात की जानकारी पत्रकार और लेखक यासिर उस्मानी की किताब द अन्टोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार (The Untold Story Of India’s Superstar) में मिलती है। डिप्रेशन के चलते उनके जहन में सुसाइड का ख्याल भी आता था।