आतंकवादियों ने हमारी बहनों का सुहाग छीना, भारत-पाक क्रिकेट मैच पर उन्हें क्या जवाब देंगे?: प्रियंका चतुर्वेदी

By Tatkaal Khabar / 29-07-2025 10:28:38 am | 298 Views | 0 Comments
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शिवसेना(यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लोकसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान असदुद्दीन ओवैसी के भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच पर दिए बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में आतंकवादियों ने हमारी बहनों का सुहाग उजाड़ दिया और अब आप एशिया कप में भारत पाकिस्तान के बीच मैच करवा रहे हैं। हम उन बहनों को क्या जवाब देंगे? सोमवार को आईएएनएस से बातचीत के दौरान प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हम लोगों ने इससे पहले विश्व चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स (डब्ल्यूसीएल) में भारत-पाकिस्तान मैच पर कड़ा विरोध जताया। जनता के दबाव में उस मैच को रद्द करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे अभियान चल रहे हैं और सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख की बात करती है, जिसमें पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं हो सकते, तो ऐसे में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच कैसे संभव है?
चतुर्वेदी ने बीसीसीआई पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब जनता के दबाव में डब्ल्यूसीएल जैसे निजी लीग मैच रद्द हो सकते हैं, तो बीसीसीआई ने एशिया कप 2025 में भारत-पाकिस्तान मैच को हरी झंडी कैसे दे दी? उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 लोगों की जान गई, और पूछा कि अगर भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच खेला जाता है तो मृतकों के परिजनों को क्या जवाब दिया जाएगा? चतुर्वेदी ने कहा कि देश में अभी भी गुस्सा है, क्योंकि पाकिस्तान और उसके क्रिकेटर जहर उगल रहे हैं। उन्होंने बीसीसीआई और सरकार पर देश की भावनाओं को नजरअंदाज करने और मुनाफे को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। साथ ही, उन्होंने ओवैसी के इस मुद्दे को उठाने का स्वागत किया।
चतुर्वेदी ने कहा, "लोकसभा में हमें 16 घंटे की चर्चा का समय दिया गया है, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपनी बात रखी। लेकिन जब हम सवाल पूछते हैं, तो हमें देशद्रोही या पाकिस्तान समर्थक करार दिया जाता है। यह रवैया गलत है।"
उन्होंने ऑल पार्टी मीटिंग का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष ने हमेशा सरकार का साथ दिया है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में, जिसे रोका गया और विपक्ष ने तब भी इसका सम्मान किया। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सांसदों का प्रतिनिधिमंडल विदेश गया था, जिसमें देशहित को सर्वोपरि रखा गया। लेकिन विशेष सत्र की मांग को नजरअंदाज किया गया, और मानसून सत्र के पहले दिन इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। 
केशव उपाध्याय चतुर्वेदी ने सरकार पर सवाल उठाया कि जब विपक्ष जनता की आवाज उठाता है, तो उसे ‘एंटी-नेशनल’ क्यों करार दिया जाता है?