नवरात्र : अंखड दीपक की है खास महिमा,जानिए किस दिशा में है इसका खास प्रभाव

By Tatkaal Khabar / 11-10-2018 03:54:14 am | 20256 Views | 0 Comments
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नवरात्र के पावन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा बड़े ही प्रेम और भक्ति भाव से की जाती है। हर जगह उमंग और खुशियों का संचार रहता है। माता सम्पूर्ण जगत को शक्ति, स्फूर्ति और विनम्रता प्रदान करती हैं। इन नौ दिनों में अखंड जोत और दीपक का खास महत्व् है। यदि अखंड दीपक को सही दिशा में रख दिया जाए तो जातक के बुरे ग्रह भी अच्छों में बदलने लगते हैं।Image result for    सर्वप्रथम तो पूजन कक्ष साफ़-सुथरा हो, उसकी दीवारें हल्के पीले, गुलाबी ,हरे जैसे आध्यात्मिक रंग की हो तो अच्छा है क्योंकि ये रंग सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते है ।काले ,नीले और भूरे जैसे तामसिक रंगों का प्रयोग पूजा कक्ष की दीवारों पर नहीं होना चाहिए। वास्तुविज्ञान के अनुसार ईशान कोण यानि कि उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा -पाठ के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इसलिए नवरात्र काल में माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना इसी दिशा में करनी चाहिए।Image result for    देवी माँ का क्षेत्र दक्षिण दिशा माना गया है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते वक्त आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे। शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है और दक्षिण दिशा की ओर मुख करने से आराधक को मानसिक शांति अनुभव होती है।अखंड दीप और पूजन सामग्री का रखें खास ध्यान- 
अखंड दीप को पूजा स्थल के आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व में रखना शुभ होता है क्योंकि यह दिशा अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है।
आग्नेय कोण में अखंड ज्योति या दीपक रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा घर में सुख-समृद्धि का निवास होता है।संध्याकाल में पूजन स्थल पर घी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, घर के सदस्यों को प्रसिद्धि मिलती है।