परशुराम जयंती"ऋषि परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार
हिन्दी नववर्ष के अनुसार वैशाक मास की शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती हैं। इसी दिन इनका भी जन्म हुआ था। ऋषि परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार भी माना जाता हैं।
मान्यता है, भगवान ऋषि परशुराम आज भी इस दुनिया में जीवित हैं। भगवान परशुराम भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त थे। परशुराम जयंती 7 मई को मनाई जाएंगआइये जाने उनके बारे में
परशुराम से जुड़ी कुछ रोचक बातें
1) भगवान परशुराम न्याय के देवता है
ऋषि परशुराम का जन्म भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हुआ था। इनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है।
2) गणपति को भी दिया था दंड
भगवान परशुराम के क्रोध से स्वयं गणेश जी भी नहीं बच पाये थे। ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया। इस बात से गुस्सा होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था।
3) शिव जी के अनन्य भक्त थे परशुराम
परशुराम भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। ये दिन रात शिव जी की पूजा करते थे। शिवजी परशुराम की पूजा से अधिक प्रसन्न रहते थें। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने धरती पर 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। मान्यता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी।
4) हर युग में रहे मौजूद
महाभारत और रामायण दो युगों की पहचान हैं। रामायण त्रेतायुग में और महाभारत द्वापर में हुआ था। पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा।
5) भगवान शिव ने दिया था परशु अस्त्र
भगवान परशुराम जी की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠषि था। उन्होंने पिता की आज्ञा पर अपनी मां का वध कर दिया था।