ब्रह्मचारिणी स्वरूप के नाम नवरात्र का दूसरा दिन, व्रत में ऐसे करें पूजा
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है. इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है. जिनका स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है. इस बार मां के दूसरे स्वरुप की उपासना 30 सितम्बर यानी आज की जाएगी.
क्या है मां ब्रह्मचारिणी की सामान्य पूजा विधि?
- मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले अथवा सफेद वस्त्र धारणमां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है.
करें
- मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें, जैसे- मिसरी, शक्कर या पंचामृत
- ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र जपा जा सकता है
- वैसे मां ब्रह्मचारिणी के लिए "ॐ ऐं नमः" का जाप करें
- जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए
स्वाधिष्ठान चक्र के कमजोर होने पर क्या होता है?
- स्वाधिष्ठान चक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति मूर्ख होता है
- व्यक्ति के अंदर अविश्वास रहता है
- ऐसे लोगों को हमेशा बुरा होने का भय होता है
- ऐसे लोग कभी कभी काफी क्रूर होते हैं
- साथ ही कभी कभी बहुत कामुक होते हैं
स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने के लिए क्या करें?
- रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करें
- सफेद आसन पर बैठें तो उत्तम होगा
- इसके बाद देवी को सफेद फूल अर्पित करें
- पहले अपने गुरु का स्मरण करें
- इसके बाद आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं
- ध्यान के बाद देवी या अपने गुरु से स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने की प्रार्थना करें
- मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें, जैसे- मिसरी, शक्कर या पंचामृत
- ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र जपा जा सकता है
- वैसे मां ब्रह्मचारिणी के लिए "ॐ ऐं नमः" का जाप करें
- जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए
स्वाधिष्ठान चक्र के कमजोर होने पर क्या होता है?
- स्वाधिष्ठान चक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति मूर्ख होता है
- व्यक्ति के अंदर अविश्वास रहता है
- ऐसे लोगों को हमेशा बुरा होने का भय होता है
- ऐसे लोग कभी कभी काफी क्रूर होते हैं
- साथ ही कभी कभी बहुत कामुक होते हैं
स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने के लिए क्या करें?
- रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करें
- सफेद आसन पर बैठें तो उत्तम होगा
- इसके बाद देवी को सफेद फूल अर्पित करें
- पहले अपने गुरु का स्मरण करें
- इसके बाद आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं
- ध्यान के बाद देवी या अपने गुरु से स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने की प्रार्थना करें