Teachers' Day 2020: डॉ. एस राधाकृष्णन और सावित्रीबाई फुले के साथ ही शिक्षक दिवस पर इन महान शिक्षकों को भी देश नमन करता है
हर साल 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. यह दिन छात्रों का गुरु के प्रति ऐभार व्यक्त करने का दिन होता है. इस दिन स्कूल में कई कार्यक्रम होते हैं. जीवन में गुरु का स्थान कोई दूसरा नहीं ले सकता. गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश कहा जाता है. भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (5 सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी. इस मौके पर हम आज आपको देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं जो साद ही आपको पता होंगी.डॉ. राधाकृष्णन का जन्म एक मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था. ऐसा माना जाता है कि राधाकृष्ण के पिता चाहते थे कि उनका बेटा अंग्रेजी ना सीखे और मंदिर का पुजारी बन जाए.डॉक्टर राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे. उनके चार भाई और एक छोटी बहन थी छः बहन-भाईयों और दो माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय बहुत कम थी.
– भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शुरुआती जीवन तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर ही बीता.
– डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के ज्ञानी,एक महान शिक्षाविद,महान दार्शनिक,महान वक्ता होने के साथ ही विज्ञानी हिन्दू विचारक भी थे. राधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में बिताए.
– शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने महान दार्शनिक शिक्षाविद और लेखक डॉ.राधाकृष्णन को देश का सर्वोच्च अलंकरण “भारत रत्न” प्रदान किया.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति और शिक्षा के पक्षधर थे. वे मैसूर विश्वविद्यालय, आईआईएम शिलांग, अहमदाबाद और इंदौर में गेस्ट लेक्चरर थे. इसके अलावा उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाया. उन्होंने हमेशा यही सिखाया कि जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हो पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं. वे एक बच्चे के समग्र विकास में विश्वास करते थे न कि सिर्फ अकादमिक प्रगति पर, इसलिए आज भी उनके विचार युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हैं.
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद ने दर्शनशास्त्र पढ़ाया और शिक्षा व चरित्र के निर्माण के विभिन्न पहलुओं के लिए पुनर्व्याख्या लागू की. उन्होंने गुरुकुल प्रणाली को बढ़ावा दिया, जहां शिष्य और शिक्षक साथ-साथ रहते हैं और काम करते हैं. उन्होंने छात्रों को अच्छे नागरिक बनने की शिक्षा दी. उनका मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है.
सावित्रीबाई फुले
सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला स्कूल की पहली शिक्षिका और आधुनिक मराठी कविता की संस्थापक थीं. उन्होंने देश में महिलाओं के उत्थान और शिक्षा की दिशा में काम किया. अपने पति मदद से उन्होंने अछूत लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला. लड़कियों को शिक्षा देने वाली सावित्रीबाई फुले का उस दौरान लोगों ने काफी मजाक भी उड़ाया, उन पर गोबर और पत्थर फेंके, लोगों के विरोध के बावजूद उन्होंने पढ़ाना जारी रखा. ब्रिटिश सरकार ने उन्हें उनकी शिक्षाओं के लिए सम्मानित किया था.
रवींद्रनाथ टैगोर
रवींद्रनाथ टैगोर को महान बांग्ला कवि, गीतकार, संगीतकार, कहानीकार, नाटककार, चित्रकार, रचनाकार और निबंध लेखक के तौर पर जाना जाता है. एक महान शख्सियत के तौर पर लोकप्रिय रवींद्रनाथ टैगोर कक्षा शिक्षण में सुधार करना चाहते थे. उन्होंने पेड़ों के नीचे बच्चों को पढ़ाया. उन्होंने गुरुकुल की अवधारणा को फिर से स्थापित किया और उम्मीद की कि यह भारत और दुनिया के बीच संबंध जोड़ने वाला होगा.
शिक्षक दिवस पर छात्रों द्वारा तमाम शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के लिए उनका आभार जताया जाता है, लेकिन देश के इन महान शिक्षकों को देशवासी हमेशा याद करते हैं और उनके महान विचारों से जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा लेते हैं.