Diabetes: वीक में कितनी बार चेक करना चाहिए ब्लड शुगर लेवल, जानें
कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा उन लोगों को ज्यादा है, जो लोग पहले से ही किसी गंभीर बीमारी का शिकार हैं जैसे डायबिटीज, ह्रदय संबंधी बीमारियां और स्ट्रोक आदि. ऐसे समय में मधुमेह रोगियों को अपना खास ध्यान रखने की आवश्यकता है. मधुमेह रोगियों को हर रोज अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच को लेकर सतर्क रहने की बेहद जरूरत होती है क्योंकि इससे उन्हें दवाओं और इंसुलिन के संयोजन में मदद मिल सकती है, वो भी तब, जब वह कोरोना या किसी अन्य संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. एक रिसर्च के अनुसार केवल 28% डायबिटीज रोगी ही ऐसे हैं जो लॉकडाउन के समय में नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर पर निगरानी रख रह हैं, तो आइए आज हम आपको इस रिसर्च के बारे में विस्तार से बताते हैं.
लोगों को पता नहीं ब्लड शुगर कैसे नापा जाता है
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर लोगों के पास ब्लड शुगर नापने वाली मशीन या उनकी स्ट्रिप नहीं होती है. इसके साथ ही ज्यादातर लोगों को खुद से ब्लड शुगर नापना भी नहीं आता है.
लॉकडाउन में नहीं टेस्ट कर रहे लोग
एक्सपर्ट के अनुसार लॉकडाउन में ज्यादातर लोगों के ब्लड शुगर लेवल में सुधार नहीं हो रहा है जबकि उनमें से 80% लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज कर रहे हैं और अपने डाइट पर कंट्रोल बनाए हुए हैं. इन रोगियों में ज्यादातर वो लोग हैं जो बहुत कम टेस्ट करते हैं या फिर बिल्कुल भी टेस्ट नहीं कराते हैं. इसके अलावा आश्चर्य की बात ये है कि ये सभी लोग इंसुलिन और लंबे समय में असर दिखाने वाली गोलियों पर निर्भर हैं और हाइपोग्लाइकेमिया से ग्रस्त हैं. लॉकडाउन के इस समय में ब्लड शुगर में किसी भी प्रकार का बदलाव होने पर ब्लड शुगर को बार-बार चेक करते रहना चाहिए.
दवाओं पर निर्भर अधिकतर लोग
ये रिसर्च यह जानने के लिए किया गया था कि रोगी अपने ब्लड शुगर के लेवल को कितनी अच्छी तरह से बनाए रख रहे हैं या नहीं रख रहे है. एक्सपर्ट का मानना था कि अधिकतर लोग टेस्ट कर रहे होंगे क्योंकि ग्लूकोमीटर ज्यादा महंगे नहीं होते हैं और इसका इस्तेमाल भी बहुत आसान होता है और सभी रोगियों को इसका इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. मगर रिसर्च का रिजल्ट बहुत अलग था. रिसर्च में शामिल 100 रोगियों में से 92% को टाइप 2 डायबिटीज थी, जिसमें से 49% केवल दवाओं पर निर्भर थे तो 43% ग्लाइसेमिक कंट्रोल करने की दवाओं और इंसुलिन दोनों पर निर्भर थे. इनमें केवल 8% मरीज ही इंसुलिन पर निर्भर थे. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज्यादातर लोग अच्छा आहार लेने में सक्षम थे और लॉकडाउन से पहले भी घर का बना हुआ खाना खाते थे.
कोरोना का खतरा किन लोगों को ज्यादा है
एक हेल्थ संगठन अनुसार, नियमित रूप से ब्लड शुगर के लेवल को चेक करते रहना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बूढ़े या पहले से कोई बिमारी होने पर जैसे डायबिटीज, हृदय रोग और अस्थमा, कोरोना के साथ गंभीर रूप से बीमार होने की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं.
ब्लड शुगर टेस्ट किसे कब करना चाहिए
एक्सपर्ट के अनुसार नियमित रूप से ब्लड शुगर को चेक करते रहना जरूरी है क्योंकि ब्लड शुगर के लेवल में वृद्धि तब होती है जब डायबिटीज से पीड़ित कोई मरीज तनाव हार्मोन के रिलीज होने के कारण किसी वायरल संक्रमण का शिकार हो जाता है. जो लोग इंसुलिन थेरेपी पर होते हैं, उन लोगों को दिन में कम से कम दो बार शुगर लेवल की जांच करनी चाहिए, इसके अलावा दवाईयों पर निर्भर रहने वाले रोगियों को, जिनका शुगर लेवल पर अच्छा कंट्रोल है उन्हें हफ्ते में दो बार शुगर चेक करना चाहिए.