केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने किया सचेत, ठंड और त्योहारी मौसम में लापरवाही पड़ेगी भारी, वैक्सीन पर भी दिया अपडेट
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सतर्क किया है इस त्योहारी सीजन में लापरवाही भारी पड़ सकती है. संक्रमण बढ़ सकता है. इस दौरान उन्होंने कोरोना की वैक्सीन पर भी बात रखी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, अबतक कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, रिजल्ट आना बाकि है. सरकार ने अबतक फैसला नहीं लिया है कि इसका इस्तेमाल आपात स्थिति में किया जा सके.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सोशल मीडिया के जरिये अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, SARS Cov 2 को ठंड के मौसम में बढ़ने के लिए जाना जाता है. सर्दी के मौसम में कई लोग एक साथ मिलतेकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सतर्क किया है इस त्योहारी सीजन में लापरवाही भारी पड़ सकती है. संक्रमण बढ़ सकता है. इस दौरान उन्होंने कोरोना की वैक्सीन पर भी बात रखी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, अबतक कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, रिजल्ट आना बाकि है.
मंत्री ने कहा,‘‘भारत जैसे बड़े देश में टीके की आपूर्ति को प्राथमिकता देना कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे संक्रमण का खतरा, विभिन्न जनसंख्या समूह के बीच अन्य रोगों का प्रसार, कोविड-19 मामलों के बीच मृत्यु दर और कई अन्य.'' उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न प्रकार के टीकों की उपलब्धता पर गौर कर रहा है जिनमें से कुछ विशिष्ट उम्र वर्ग के लिए उपयुक्त हो सकते हैं जबकि अन्य उस आयु वर्ग के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं.
मंत्री ने कहा कि योजना का सबसे महत्वपूर्ण कारक शीत श्रृंखला और परिवहन के अन्य साधन हैं ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि अंतिम स्थान तक टीके की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आए. कोविड-19 टीके के अन्य उम्मीदवारों को शामिल करने की आवश्यकता पर हर्षवर्धन ने कहा कि भारत की बड़ी आबादी को देखते हुए एक टीका या टीका निर्माता पूरे देश में टीकाकरण की जरूरत को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम देश में आबादी के हिसाब से कोविड-19 के कई टीकों की वहनीयता पर गौर कर रहे हैं.''
महामारी के दौरान सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर अपने विचार साझा करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि भारतीय जनसंख्या के लिए अधिकतम टीकाकरण सुनिश्चित करने की खातिर वर्तमान स्थिति में कई टीका साझेदारों की जरूरत होगी. ‘फेलूदा' जांच पर उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और निजी प्रयोगशालाओं में दो हजार से अधिक रोगियों पर जांच के दौरान जांच में 96 फीसदी संवेदनशीलता और 98 फीसदी विशिष्टता दिखी.