गुरुवार के दिन विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए इन 9 उपायों को अमल में लाएं, हर मनोकामना पूरी होगी!

By Tatkaal Khabar / 01-04-2021 09:18:27 am | 34624 Views | 0 Comments
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सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवताओं के नाम समर्पित माना गया है. इस तरह गरुण पुराण में गुरुवार (Thursday) का दिन श्रीहरि (विष्णु जी) और बृहस्पति (ग्रह) के दिन के रूप में उल्लेखित है. मान्यता है कि इस दिन श्रीहरि एवं बृहस्पति की पूजा-व्रत करने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है. भक्त को उच्च शिक्षा, धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि इत्यादि की प्राप्ति होती है. साथ ही देहावसान के बाद बैकुण्ठधाम में स्थान मिलता है. 

लेकिन अगर किसी वजह से बृहस्पतिवार के दिन व्रत एवं पूजा नहीं कर सकते या कर सकती हैं तो निम्न कार्य अवश्य संपादित करें. ज्योतिषियों का मानना है कि ये कार्य करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं.

* गुरुवार के दिन किसी कारण से विष्णु जी की पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो स्नान करने के बाद कहीं किसी भी जगह ध्यानस्थ होकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें. दो माह निरंतर ऐसा करने के बाद आप पायेंगे कि आपके पास धन का आगम निरंतर बना हुआ है. क्योंकि ऐसा करने से आपका बृहस्पति ग्रह मजबूत बनता है, जिससे धन के आगम का अवरुद्ध मार्ग खुल जाता है.

* पौराणिक कथाओं के आधार पर गुरुवार के दिन खिचड़ी ना खाना चाहिए ना ही बनाना ऐसा करने से दरिद्रता आती है.

* गुरुवार के दिन अगर आप अपने बृहस्पति ग्रह को मजबूत देखना चाहते हैं तो इस दिन भूलकर भी बालों, दाढ़ी एवं नाखूनों की कटिंग नहीं करवाएं. महिलाओं को भी इस दिन बाल धोने, साबुन लगाने एवं कपड़े धोने की मनाही होती है. ऐसा करने से धन की हानि होती है.

* श्रीहरि को पीला रंग बहुत प्रिय है. पीला रंग वैसे भी समृद्धि एवं संपन्नता का प्रतीक बताया जाता है. इसलिए प्रत्येक गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर मंदिर में पीले फूल, पीले वस्त्र, पीले रंग के भोग श्रीहरि के मंदिर में चढ़ाएं और विश्वास रखें कि श्रीहरि की आप पर विशेष कृपा बरसेगी.

* गुरुवार के दिन स्नान करने से पहले जल में पीला चंदन अथवा पीली हल्दी का पाउडर मिलाकर स्नान करें, भाग्योदय होने के साथ-साथ शरीर एवं त्वचा संबंधी सारे विकार भी दूर होंगे. अगर बृहस्पति ग्रह का कोई दोष होगा तो वह भी दूर हो जायेगा.

* माह में कम से कम एक बार परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर श्री सत्यनारायण की जी कथा सुननी अथवा सुनानी चाहिए. ऐसा करने वाले को गुरु की कृपा से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन काले रंग का वस्त्र कत्तई नहीं पहनें.

* गुरुवार के दिन व्रत अथवा श्रीहरि की पूजा करते हैं तो केले का सेवन कत्तई नहीं करें, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक केले के वृक्ष में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है. जबकि पुराणों के अनुसार केले के वृक्ष में श्रीहरि निवास करते हैं, इसीलिए गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है.

* श्रीहरि अथवा बृहस्पति की पूजा के उपरांत व्रत का पारण करने से पूर्व पीली वस्तुओं पीला वस्त्र, पीली मिठाई, पीतल के बर्तन, चने का दाल, पीले फल में से किसी एक वस्तु का दान गरीब अथवा ब्राह्मण को अवश्य करें.

* गुरुवार के दिन श्रीराम कथा, श्रीराम स्तुति अथवा विष्णु चालीसा का पाठ करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं, और मन की सारी कामनाएं पूरी करते हैं.