राज्यपाल की प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर की भावभीनी विदाई

By Tatkaal Khabar / 14-06-2018 03:31:55 am | 12118 Views | 0 Comments
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लखनऊः 14 जून, 2018


        उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि किसी भी कार्यालय की कार्य संस्कृति और कार्य क्षमता का मापदण्ड वहां का अध्यक्ष होता है। सुश्री जूथिका पाटणकर ने जिस संवेदनशीलता और दायित्व बोध के साथ राजभवन में काम किया, वह सराहनीय है। उत्तर प्रदेश में सन् 1947 से लेकर अब तक 26 राज्यपालों के कार्यकाल में सुश्री जूथिका पाटणकर प्रमुख सचिव के रूप में कार्य करने वाली प्रथम महिला अधिकारी हैं, उन्होंने तीन राज्यपालों के साथ काम किया है। अलग-अलग विचारों के राज्यपालों के साथ काम करना एक परीक्षा होती है। देश के किसी भी राजभवन में प्रमुख सचिव के पद पर काम करने वाली वे एकमेव महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजभवन के सुखद अनुभव और यादें उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा। 
        उक्त उद्गार आज राज्यपाल ने राजभवन मंे आयोजित सुश्री जूथिका पाटणकर के विदाई एवं प्रमुख सचिव  हेमन्त राव के स्वागत समारोह में व्यक्त किये। इस अवसर पर राज्यपाल के नवागत प्रमुख सचिव  हेमन्त राव, विशेष सचिव डाॅ0 अशोक चन्द्र, विधि परामर्शी  एस0एस0 उपाध्याय, अपर विधि परामर्शी  कामेश शुक्ल, परिसहाय मेजर जगमीत सिंह एवं विनीत जायसवाल सहित राजभवन के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। हेमन्त राव ने आज विधिवत् राज्यपाल के प्रमुख सचिव के पद का दायित्व ग्रहण कर लिया। राजभवन में विदाई के साथ-साथ प्रमुख सचिव हेमन्त राव तथा विशेष सचिव डाॅ0 अशोक चन्द्र का स्वागत भी किया गया।  
श्री नाईक ने कहा कि सुश्री जूथिका पाटणकर ने राजभवन में रहते हुए ऐसे अनेक कार्य किये हैं जिससे राजभवन की गरिमा बढ़ी है। अपने कार्यकाल में कभी ऐसा अवसर नहीं आने दिया कि राजभवन की गरिमा पर कोई बात आये। सरकारी स्तर पर उन्होंने सदैव अपनी उचित राय रखी और वही राय दी जो हर दृष्टि से उपयुक्त हो। सह-अधिकारियों व कर्मचारियों को भी उनसे लगाव रहा है और जो अधिकारपूर्वक उनके समक्ष अपनी बात रख सकते थे।
राज्यपाल ने कहा कि सुश्री जूथिका ने राजभवन में आर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर संयंत्र, वर्मी कम्पोस्ट शेड और पाॅलीहाउस का निर्माण कराकर देश के अन्य राज्यों के राजभवन के लिये एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने परिसहायों के लिये गाइडबुक ‘ब्वउचमदकपनउ व िप्देजतनबजपवदे वित ।पकमे क्म ब्ंउच जव ळवअमतदवतए न्जजंत च्तंकमेी’ बनवाई तथा उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा के उन्नयन, रचनात्मकता, नवोन्मेष और गुणवत्ता के लिये देश के तीन राज्यों में जाकर वहां के विश्वविद्यालयों का अध्ययन किया और ‘विश्वविद्यालय प्रबंधनः राजभवन द्वारा अध्ययन’ विषय पर रिपोर्ट दी, जिसे मैंने राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी। जिसकी प्रंशसा राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति ने लिखित रूप से भेजी है। 
प्रमुख सचिव सुश्री जूथिका पाटणकर ने कहा कि राजभवन में तैनाती एक सुखद अनुभव था जिसका श्रेय राज्यपाल  राम नाईक को जाता है। राजभवन में काम करने की आजादी थी, विचार-विमर्श का रास्ता था, अधिकारियों में एक टीम भावना थी, राजभवन में रहकर बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। उन्होंने राजभवन के समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया।
प्रमुख सचिव  हेमन्त राव ने प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर की प्रशंसा करते हुए कि राजभवन से उनका रिश्ता अत्यन्त सघन और भावुक है। मुरादाबाद मण्डल में साथ में काम किया है, मण्डल के लोग  आज भी उनकी तारीफ करते हैं। उन्होंने कहा कि वे पूर्व में उच्च शिक्षा विभाग का कार्य देख चुके हैं इसलिये अपने अनुभव को कुलाधिपति के कार्यालय में भी प्रयोग करना चाहेंगे। 
विधि परामर्शी  एस0एस0 उपाध्याय ने कहा कि सुश्री जूथिका पाटणकर के कालखण्ड में राजभवन में अनेक बड़े निर्णय लिये गये जो चर्चा का विषय रहे हैं। सुश्री पाटणकर में असाधारण योग्यता, स्पष्टवादिता और दायित्वबोध के प्रति गहरी आस्था है। 
विशेष कार्य अधिकारी  आर0के0एस0 राठौर ने कहा कि सुश्री जूथिका पाटणकर ने कर्मचारियों को कार्य करने के लिये उचित वातावरण को प्रोत्साहित किया तथा शिक्षा के सुधार के लिये अनेक निर्णय लिये। उन्होंने एक शेर पढ़ते हुए अपनी बात समाप्त की ‘कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे में ढल गये, आपने तो वक्त का सांचा बदल दिया। 
राज्यपाल एवं उनकी पत्नी श्रीमती कुन्दा नाईक ने सुश्री जूथिका पाटणकर को विदाई के समय उपहार भी दिये। कार्यक्रम का संचालन अपर विधि परामर्शी कामेश शुक्ला ने किया।