कश्मीर में फिर दिखा 1990 का मंजर, कश्मीरी पंडितों का शुरू हुआ पलायन

By Tatkaal Khabar / 03-06-2022 02:45:18 am | 12178 Views | 0 Comments
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कश्मीर घाटी में लगातार आतंकवादियों द्वारा नागरिकों और ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं. ख़बरों के अनुसार, कश्मीर में उनके कई रिहायशी शिविरों में उन्हें प्रशासन द्वारा जबरन रोका जा रहा है.

बुधवार को मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में स्थित चदूरा के तहसीलदार कार्यालय में घुसकर दो आतंकियों ने सरकारी कर्मचारी राहुल भट को गोलियों से भून दिया। आरोप है कि हत्यारों ने पहले कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने की धमकी दी और फिर हमला किया। राहुल भट कश्मीरी पंडित हैं। उनकी इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई।

राहुल भट चदूरा में राजस्व विभाग में क्लर्क के तौर पर काम करते थे। उनकी हत्या को लेकर कश्मीरी पंडितों में गुस्सा है। नाराज लोगों ने जम्मू श्रीनगर हाईवे पर जाम लगा दिया। लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं। साथ ही अनंतनाग समेत घाटी के कई इलाकों में लोगों ने प्रदर्शन किया। लोग सरकार से आतंकियों के खिलाफ नकेल कसने की मांग कर रहे हैं। घटना को लेकर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल  मनोज सिन्हा ने कहा, "मैं बडगाम में आतंकवादियों द्वारा राहुल भट की बर्बर हत्या की कड़ी निंदा करता हूं। इस घिनौने आतंकी हमले के पीछे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। इस दुख की घड़ी में जम्मू-कश्मीर सरकार शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ी है।" 

कश्मीरी पंडितों से बात की जो कश्मीर में कार्यरत हैं और उनके लिए बनाए गए दो मुख्य कैंपों- बडगाम के शेखपोरा और पुलवामा के हाल में रहते हैं. अख़बार के अनुसार, उनमें हताशा और तनाव स्पष्ट दिख रहे हैं. कइयों ने बताया कि वे घाटी के बाहर विकल्प तलाश रहे हैं.

हालिया विरोध-प्रदर्शनों में सक्रिय रहे 40 साल के सरकारी कर्मचारी अमित कौल शेखपोरा कैंप के रहवासी है. उन्होंने बताया, ‘हम सब वापस जम्मू जा रहे हैं. मैं अपने पांच सहकर्मियों के साथ कैंप छोड़ चुका हूं.’