SARS-CoV-2: वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी, अब कोरोना वायरस पर पाया जा सकेगा काबू!

By Tatkaal Khabar / 13-07-2022 03:54:25 am | 11148 Views | 0 Comments
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SARS-CoV-2: अब कोरोना ज्यादा तबाही नहीं मचा सकेगा, क्योंकि उसे रोकने के लिए अब वैज्ञानिकों ने तरीका ढूंढ निकाला है. भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के वैज्ञानिकों ने (CSIR) इंस्टिट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के सहयोग से कोरोना के मानव कोशिकाओं में प्रवेश को अवरुद्ध करके और संक्रमण क्षमता को कम करके COVID (SARS-CoV-2) वायरस को निष्क्रिय करने के लिए एक नया तंत्र विकसित किया है. बुधवार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है.

कैसे रोका जाएगा कोरोना को
शोधकर्ताओं ने बताया कि सिंथेटिक पेप्टाइड्स नामक एक नई विधि विकसित की गई है, जो न केवल कोशिकाओं में COVID (SARS-CoV-2) वायरस के प्रवेश को रोक सकती है, बल्कि विषाणुओं (वायरस कणों) को भी निष्क्रिय कर सकती है, जिससे उनकी संक्रमित होने की क्षमता कम हो सकती है. यह नया तरीका SARS-CoV-2 जैसे वायरस को निष्क्रिय करने के लिए एक वैकल्पिक सुविधा प्रदान करता है, जो पेप्टाइड्स को एंटीवायरल के रूप में सक्षम बनाता है.

बता दें कि फिलहाल SARS-CoV-2 वायरस के नए वैरिएंट के तेजी से उभरने से COVID-19 के टीकों द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा अब कम हो गई है, जो वायरस द्वारा संक्रमण को रोकने के लिए नए तरीकों को तलाश करने के लिए जरूरी है. वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रोटीन-प्रोटीन की परस्पर क्रिया अक्सर ताले और चाबी की तरह होती है. इस अंतःक्रिया को सिंथेटिक पेप्टाइड द्वारा बांधा जा सकता है और इससे कोरोना के संक्रमण को फैलाने से रोका जा सकता है. सिंथेटिक पेप्टाइड प्रोटीन को चाभी की तरह लॉक कर सकता है. 

मंत्रालय के अनुसार, IISc के वैज्ञानिकों ने पेप्टाइड्स को डिजाइन करने की बात कही है जो SARS-CoV-2 वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन को बांधकर उसे अवरुद्ध कर सकता है. इस बंधन को क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (क्रायो-ईएम) और अन्य बायोफिजिकल विधियों द्वारा बड़े पैमाने पर चित्रित किया गया है.
इस नयी तकनीक को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक वैधानिक निकाय, SERB विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) के COVID-19 IRPHA के तहत अनुसंधान करने की बात कही गई है.


क्या होते हैं पेप्टाइड्स, जो कोरोना को रोकेंगे..

डिज़ाइन किए गए पेप्टाइड्स पेचदार, हेयरपिन के आकार के होते हैं और एक- दूसरे के साथ जुड़ने में सक्षम होते हैं, जिसे डिमर के रूप में जाना जाता है. प्रत्येक डिमेरिक 'बंडल' दो लक्ष्य अणुओं के साथ बंधा होता है. नेचर केमिकल बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि दो पेप्टाइड्स दो अलग-अलग प्रोटीनों से बंधे होंगे जो चारों को एक जटिल प्रक्रिया के तहत प्रोटीन को बंद कर उसके मार्ग को अवरूद्ध कर देंगे. टीम ने मानव कोशिकाओं में SARS-CoV-2 रिसेप्टर SARS-CoV-2 और ACE2 प्रोटीन के स्पाइक (S) प्रोटीन के बीच लक्षित करने के लिए SIH-5 नामक पेप्टाइड का उपयोग करके इसे तकनीक को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है.

प्रोटीन से प्रोटीन को बांधकर वायरस को रोका जा सकता है

तीन समान पॉलीपेप्टाइड्स का एक परिसर,जिसमें एस प्रोटीन एक ट्रिमर है -  प्रत्येक पॉलीपेप्टाइड में एक रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) होता है जो मेजबान सेल की सतह पर ACE2 रिसेप्टर को बांधता है. यह अंतःक्रिया कोशिका में वायरल प्रवेश की सुविधा प्रदान करती है. SIH-5 पेप्टाइड को मानव ACE2 के लिए RBD के बंधन को अवरुद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जब एक SIH-5 डिमर को S प्रोटीन का सामना करना पड़ता है, तो उसका एक फेस S प्रोटीन ट्रिमर पर तीन RBD में से एक से कसकर बंधा होता है और दूसरा फेस किसी भिन्न S प्रोटीन से RBD से बंधा होता है. इस 'क्रॉस-लिंकिंग' से SIH-5 को एक ही समय में दोनों S प्रोटीन को ब्लॉक किया जा सकता है.

क्रायो-ईएम के तहत, एसआईएच -5 द्वारा लक्षित एस प्रोटीन सिर से सिर तक जुड़ा हुआ प्रतीत होता है और इससे स्पाइक प्रोटीन को डिमर बनाने के लिए मजबूर किया जाता है. इसके बाद, शोधकर्ताओं ने दिखाया कि SIH-5 ने विभिन्न वायरस कणों से स्पाइक प्रोटीन को क्रॉस-लिंक करके वायरस को कुशलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया जा सकता है, जिससे वायरस संक्रमण फैला नहीं सका.

शोधकर्ताओं की टीम ने किया खुलासा

आईआईएससी और सीएसआईआर-माइक्रोबियल प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्ताओं की टीम ने प्रयोगशाला में कोशिकाओं में विषाक्तता के लिए पेप्टाइड का परीक्षण किया और इसे सुरक्षित पाया.