मगहर से बोले प्रधानमंत्री मोदी;" कि कबीर विचार बनकर आए और व्यवहार बनकर अमर हो गए...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश में संत कबीर की नगरी संत कबीर नगर में हैं. मगहर पहुंच कर उन्होंने सबसे पहले कबीर को नमन किया और उनकी समाधि पर चादर भी चढ़ाई.
आपको बता दें कि आज कबीर का 620वां प्राकट्य दिवस है. PM मोदी ने यहां कबीर अकादमी के मॉडल का भी दौरा किया. प्रधानमंत्री ने यहां पर ‘संत कबीर अकादमी‘ की आधारशिला रखी. प्रधानमंत्री के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे. इसके बाद पीएम मोदी ने यहां जनसभा को संबोधित किया.
उन्होंने जो अपने वक्तव्य दिया वो इस तरह से है
- आजादी के इतने वर्षों तक देश के कुछ ही हिस्से में विकास की रोशनी पहुंच सकी थी. हमारी सरकार का प्रयास है कि भारत भूमि की एक-एक इंच की जमीन को विकास की धारा के साथ जोड़ा जाए.
- 14-15 वर्ष पहले जब पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी यहां आए थे, तब उन्होंने इस जगह के लिए एक सपना देखा था. उनके सपने को साकार करने के लिए मगहर को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में सद्भाव-समरसता के मुख्य केंद्र के तौर पर विकसित करने का काम अब किया जा रहा है
- आज दोगुनी गति से काम हो रहा है, सरकार सबका साथ सबका विकास की भावना से काम कर रही है, पहले विकास को तरस गया था पूर्वी उत्तर प्रदेश
- देश में मुस्लिम बहनें तीन तलाक से मुक्ति की मांग कर रही हैं, लेकिन तीन तलाक के रास्ते में रोड़े अटकाए जा रहे हैं
-समाजवाद और बहुजन की बात करने वालों का सत्ता के प्रति लालच आप देख रहे हैं, 2 दिन पहले देश में आपातकाल को 43 साल हुए हैं. सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उस समय आपातकाल का विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं. ये समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं
- कुछ दल बस कलह और राजनीति चाहते हैं, ये दल समाजवाद और बहुजन वाद के नाम पर ढोंग कर रहे हैं, ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने लिए करोड़ों के बंगले बनवाए हैं, ऐसे लोगों से यूपी के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है
- ये हमारे देश की महान धरती का तप है, उसकी पुण्यता है कि समय के साथ, समाज में आने वाली आंतरिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए समय-समय पर ऋषियों, मुनियों, संतों का मार्गदर्शन मिला. सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में अगर देश की आत्मा बची रही, तो वो ऐसे संतों की वजह से ही हुआ
- संत कबीर भीतर से कोमल और बाहर से कठोर थे. वे जन्म से नहीं अपने कर्म से वंदनीय हो गए, समाज जागरण के लिए कबीर काशी से मगहर आए
- मगहर की पावन धरती पर आकर मुझे संतोष मिला, संपूर्ण मानवता के लिए कबीर दास उम्दा संपत्ति छोड़ गए.
- समाज को सदियों से दिशा दे रहे मार्गदर्शक, समभाव और समरसता के प्रतिबिम्ब महात्मा कबीर को उनकी ही निर्वाण भूमि से मैं उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं.