सावन के महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते न करें यह गलतियाँ

By Tatkaal Khabar / 22-07-2024 03:34:30 am | 12811 Views | 0 Comments
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आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के बाद श्रवण का महीना शुरू होता है। सावन का महीना शिव का महीना है। इस बार सावन का महीना कुल 29 दिनों के लिए रहने वाला है। सावन में सर्वार्थ सिद्धि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग के साथ कई राजयोग का निर्माण भी हो रहा है। माना जा रहा है ऐसे दुर्लभ योग 72 सालों के बाद बना रहे हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन के दौरान ही समुद्र मंथन से निकला विष भगवान शिव ने धारण किया था, जिसकी वजह से भगवान शिव का शरीर तपने लगा था। ऐसे में देवताओं ने चिंतित होकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। सावन के महीने में शिवलिंग का जल अभिषेक करने का खास महत्व है। शिव पुराण के अनुसार मात्र शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। वहीं, कई बार हम जाने-अनजाने में जलाभिषेक करते समय कई गलतियां कर बैठते हैं। आज हम अपने पाठकों को शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का सही तरीका और नियम बताने जा रहे हैं—

भगवान शिव को जल कैसे चढ़ाएं

भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए तांबे, चांदी या कांच का लोटा लें।


शिवलिंग पर जलाभिषेक हमेशा उत्तर की दिशा में करना चाहिए। उत्तर की दिशा शिव जी का बाया अंग मानी जाती है, जो पार्वती माता को समर्पित है।


सबसे पहले शिवलिंग के जलाधारी के दिशा में जल चढ़ाना चाहिए, जहां गणेश जी का वास माना जाता है।


अब शिवलिंग के जलाधारी के दाएं दिशा में जल चढ़ाएं, जो भगवान कार्तिकेय की जगह मानी गई है।


इसके बाद शिवलिंग के जलाधारी के बीचो-बीच जल चढ़ाना चाहिए, जो भोलेनाथ की पुत्री अशोक सुंदरी को समर्पित है।


अब शिवलिंग के चारों ओर जल चढ़ाएं, जो माता पार्वती की जगह मानी जाती है।


आखिर में शिवलिंग के ऊपरी भाग में जल चढ़ाएं।