Himachal Economic Crisis: आर्थिक रूप से कंगाल हुआ हिमाचल? CM सुखविंदर सिंह और मंत्रियों ने छोड़ी 2 महीने की सैलरी
Himachal Economic Crisis: केंद्रीय वित्त पोषण पर आगे बढ़ने वाले हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति (Economical Condition) लगातार खराब होती चली जा रही है. हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान (Harshvardhan Chauhan) ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. आज प्रदेश सरकार के पास रोजमर्रा के खर्च करने के लिए भी पैसा नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के सामने हिमाचल प्रदेश को नए सिरे से खड़े करने की चुनौती है.
हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी मंत्रियों से रिपोर्ट मांगी है. मुख्यमंत्री ने सभी कैबिनेट मंत्रियों से उनके विभागों में खर्च कम करने की रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने कहा कि सभी मंत्रियों को यह रिपोर्ट 30 दिन के अंदर देनी होगी.
हिमाचल प्रदेश पर 86 हजार करोड़ की देनदारी
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पिछली सरकार ने उन पर 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ दिया है. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों की 11 हजार करोड़ की देनदारी भी है. इस तरह हिमाचल प्रदेश पर करीब 86 हजार करोड़ रुपए का बोझ है. ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश सरकार खर्चों में कटौती के साथ वित्त एकत्रित करने की योजना पर भी काम कर रही है. उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों के खर्चे भी कम करने के साथ रेवेन्यू लीकेज (Revenue Leakage) की भी रिपोर्ट (Report) तलब की है.
कांग्रेस सरकार के सामने चुनावी वादे पूरे करने की बड़ी चुनौती
हिमाचल प्रदेश की सत्ता में काबिज होने से पहले कांग्रेस ने जनता से कई बड़े वादे किए हैं. हाल ही में 13 जनवरी के दिन हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंत्रिमंडल की बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) की बहाली का फैसला लिया है. ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के बाद हिमाचल प्रदेश पर पहले साल में 800 से 900 करोड़ रुपए का दबाव पड़ने वाला है. इसके अलावा कांग्रेस सरकार ने 18 साल से 60 साल की महिलाओं को 1 हजार 500 मासिक पेंशन देने का भी वादा किया है.
कांग्रेस पार्टी सरकार के सामने इन वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती रहने वाली है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने जब डीजल पर तीन रुपए वैट में बढ़ोतरी की थी. उस समय यह संकेत दिए थे कि आने वाले वक्त में भी जनता को बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए. ऐसे में केंद्रीय वित्त पोषण पर चलने वाले हिमाचल प्रदेश पर आर्थिक संकट मंडराता नजर आ रहा है.