भारत-चीन संबंध: सीमा पर गश्त को लेकर बाकी हैं कई सवाल
चीनी राष्ट्रपति ने कहा, "चीन और भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इतिहास की प्रवृत्ति और अपने संबंधों के विकास की दिशा को सही तरीके से समझें." मोदी ने शी को जवाब दिया कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता संबंधों का आधार होना चाहिए. मोदी ने कहा, "हम पिछले चार साल में पैदा हुए मुद्दों पर सहमति का स्वागत करते हैं."
शी ने कहा कि दोनों देशों को "अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां उठानी चाहिए, विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए और बहुध्रुवीय दुनिया और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण में योगदान देना चाहिए."
मोदी ने कहा, "भारत-चीन संबंध हमारे देश के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी. आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों को मार्गदर्शन करेगी."
दोनों नेताओं ने हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के दौरान संक्षिप्त मुलाकातें की हैं, लेकिन उनकी आखिरी औपचारिक बातचीत अक्टूबर 2019 में शी के महाबलीपुरम दौरे के समय हुई थी. 2020 में लद्दाख में सीमा पर एक झड़प के बाद संबंध खराब हो गए थे.
भारत-चीन सबसे अहम
अमेरिकी बैंक गोल्डमैन सैक्स के पूर्व अर्थशास्त्री जिम ओ'नील, जिन्होंने 2001 में बीआरआईसी (ब्रिक) शब्द बनाया था, मानते हैं कि जब तक चीन और भारत एकजुट नहीं होते, तब तक उन्हें ब्रिक्स समूह से बहुत उम्मीदें नहीं हैं. ओ'नील ने कहा, "यह मुझे एक प्रतीकात्मक वार्षिक सभा जैसी लगती है जहां महत्वपूर्ण उभरते देश, विशेष रूप से रूस जैसे शोर मचाने वाले, एक साथ आ सकते हैं. यह दिखाने के लिए कि वे अमेरिका के बिना किसी (समूह) का हिस्सा बनकर कितना अच्छा महसूस करते हैं."
ओ'नील कहते हैं, "मैं तब तक ब्रिक्स समूह को गंभीरता से नहीं लूंगा जब तक कि मैं यह न देखूं कि दो महत्वपूर्ण देश, चीन और भारत, वास्तव में एक-दूसरे के साथ सहमत होने की कोशिश कर रहे हैं, न कि हमेशा एक-दूसरे का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं."
यूक्रेन युद्ध का साया
पुतिन पश्चिमी दावों को खारिज करते हैं कि वह यूक्रेन में रूस के हमलों के लिए युद्ध अपराधी हैं. पश्चिमी देशों ने पिछले दो साल में रूस को अलग-थलग करने की काफी कोशिशें की हैं. इसलिए कजान में दुनिया के कई बड़े नेताओं की एकजुटता पुतिन के लिए यह दिखाने का मौका था कि पश्चिमी देश अपनी कोशिशों में नाकाम रहे हैं. कजान में पुतिन ने 20 से अधिक नेताओं की मेजबानी की. इनमें नाटो सदस्य तुर्की के नेता रेचप तैयप एर्दोआन और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन शामिल हैं.
हालांकि, ब्रिक्स भी यूक्रेन युद्ध से अछूता नहीं रहा और विभिन्न नेताओं ने पुतिन से शांति स्थापित करने की अपील की. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से सार्वजनिक रूप से कहा कि वह यूक्रेन में शांति चाहते हैं. शी ने भी युद्ध पर पुतिन के साथ चर्चा की, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया. सबसे कड़ा भाषण मध्य पूर्व के लिए था. इसमें गजा पट्टी और पश्चिमी तट में संघर्ष विराम की अपील की गई.