डिप्टी CM केशव मौर्य पर FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ फर्जी शैक्षिक दस्तावेजों के आधार पर पद प्राप्त करने और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी इस मामले में "न तो पीड़ित हैं और न ही व्यथित हैं. इसलिए उनके पास आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का कोई अधिकार नहीं है.
यह मामला 2021 में शुरू हुआ था, जब त्रिपाठी ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एक आवेदन दायर किया, जिसमें केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. त्रिपाठी का आरोप था कि मौर्य ने 2007, 2012 और 2014 के चुनावों में चुनाव आयोग के समक्ष अपनी शैक्षिक योग्यताओं के बारे में गलत हलफनामे प्रस्तुत किए थे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मौर्य ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से पेट्रोल पंप हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया.
याचिकाकर्ता ने आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए दावा किया कि मौर्य द्वारा हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद से प्राप्त 'प्रथम', 'मध्यमा' और 'उत्तमा' की डिग्रियां उत्तर प्रदेश सरकार, यूजीसी और एनसीटीई द्वारा क्रमशः हाई स्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक (बी.ए.) के बराबर मान्यता प्राप्त नहीं हैं. ट्रायल कोर्ट ने 4 सितंबर 2021 को त्रिपाठी के आवेदन को खारिज कर दिया था.
इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की. शुरू में यह याचिका 318 दिनों की देरी के कारण खारिज कर दी गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को योग्यता के आधार पर तय करने का निर्देश दिया. इसपर फिर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की.