भाद्रपद शुक्ल पंचमी - गुरुवार को रवि योग में करें शुभ कार्य, जानें पूजा-व्रत का महत्व

By Tatkaal Khabar / 28-08-2025 01:53:45 am | 141 Views | 0 Comments
#

भादपद्र के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथी को गुरुवार है। इसी के साथ ही इस दिन रवि योग भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह शुभ योग है, जिसमें कोई भी कार्य करना शुभ माना जाता है।




दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 1 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।

ज्योतिष के अनुसार, रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें या तेरहवें स्थान पर होता है। यह योग निवेश, यात्रा, शिक्षा और व्यवसाय जैसे कार्यों की शुरुआत के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन किए गए कार्यों में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अग्नि पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने काशी में शिवलिंग की स्थापना की थी, जिससे गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का महत्व बढ़ जाता है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि गुरुवार का व्रत धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति प्रदान करता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले फल व फूलों का दान करना शुभ फलदायी होता है।

गुरुवार का व्रत शुरू करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें। भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाएं। दीपक जलाकर भगवान बृहस्पति की कथा सुनें और आरती करें। आरती के बाद आचमन करें। इस दिन पीले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा विशेष फल देती है। भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गरीबों को अन्न और धन का दान करने से पुण्य मिलता है। यह व्रत शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर 16 गुरुवार तक रखा जा सकता है, फिर उद्यापन करें।